इंदौर न्यूज़ (Indore News)

विभाग में बिल प्रस्तुत होने की तारीख से पहले ही भुगतान की दे डाली मंजूरी, विदेश यात्राओं के साथ ठगोरे ठेकेदार ने बांटे महंगे तोहफे भी, कई महिलाओं से संबंध भी कबूले

  • निगम की विस्तृत जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा, वित्त वर्ष समाप्ति के ठीक पहले लगाए अधिकांश बोगस बिल, वडेरा की रिमांड बढ़वाने के प्रयास करेगी आज पुलिस, विशेष टीम भी दस्तावेजों और हस्ताक्षर परीक्षण के लिए की गठित

इंदौर, राजेश ज्वेल। नगर निगम में जो बहुचर्चित फर्जी बिल घोटाला उजागर हुआ है उसकी शासन स्तर पर तो जांच फिलहाल शुरू नहीं हो पाई। आज-कल में उच्च स्तरीय गठित टीम इंदौर निगम पहुंच सकती है। मगर आयुक्त द्वारा जो जांच करवाई गई उसकी रिपोर्ट में ऑडिट और लेखा शाखा को ही मुख्य रूप से दोषी माना गया है। अभी तक यह घोटाला 125 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है और आशंका है कि इसका आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। दूसरी तरफ पुलिस ने जिन 5 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है उसमें जाह्नवी और क्षीतिज इंटरप्राइजेस के ठेकेदार राहुल वडेरा की बड़ी भूमिका सामने आई है, जिसने करोड़ों रुपए की चल-अचल सम्पत्तियां तो जुटाई ही, वहीं अधिकारियों व अन्य को देश-विदेश की यात्राओं के साथ महंगे तोहफे भी बांटे और उसने कई महिलाओं के साथ संबंध में भी कबूल किए हैं। उसकी रिमांड अवधि बढ़ाने के प्रयास भी आज पुलिस कोर्ट में करेगी।

अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी ने जिन 20 फर्जी फाइलों की जांच की उनकी विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। हालांकि निगम में इन प्रकरणों की असल फाइल मौजूद नहीं है और उसके चोरी हो जाने की एफआईआर भी एमजी रोड थाने पर दर्ज करवाई गई, लेकिन पुलिस ने इन पांच फर्मों से जुड़ी अन्य असल फाइलें अवश्य जब्त कर रखी है। निगम की इस जांच रिपोर्ट में उपसंचालक स्थानीय ऑडिट समर सिंह की भूमिका सबसे अधिक संदिग्ध बताई है, क्योंकि सीधे ऑडिट में ही ये फर्जी फाइलें लगाई गई, जहां पर आवक होना तो पाया गया मगर जावक का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। इतना ही नहीं, इन ठगोरे ठेकेदारों ने वित्त वर्ष की समाप्ति के ठीक पहले ये फाइलें लगाई। फरवरी और मार्च के अंतिम दिनों में प्रस्तुत इन फाइलों को इसलिए लगाया गया क्योंकि उस वक्त भुगतान के लिए बड़ी संख्या में ऑडिट और लेखा विभाग में फाइलें आती हैं और चूंकि 31 मार्च वित्त वर्ष समाप्ति के दबाव में भुगतान की प्रक्रिया करना पड़ती है, इसलिए सभी फाइलों की जांच संभव नहीं होती है। समर सिंह पर जांच रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि विभागीय वित्त स्वीकृति नोटशीट की छायाप्रति पर 29.03.2022 दर्शाई गई है, जबकि फाइनल बिल 31.03.2022 को ही तैयार कर लगा दिए। यानी विभाग में बिल प्रस्तुत होने के पूर्व ही बिल भुगतान स्वीकृति यह दर्शाता है कि ऑडिट विभाग की कितनी मिलीभगत इन ठगोरी फर्मों के साथ रही।

समर सिंह के अलावा इसी कारण निगमायुक्त नेशासन ने अन्य ऑडिटर के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है और संभव है कि निगम की इस जांच रिपोर्ट के बाद ऑडिटरों को भी आरोपी बनाया जाए। दूसरी तरफ चार आरोपियों की रिमांंड खत्म होने के बाद उन्हें जेल भेजा जा चुका है। जबकि झोन-3, डीसीपी पंकज पांडे के मुताबिक क्रिस्टल और ईश्वर इंटरप्राइजेस के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कर उनके कर्ताधर्ताओं ईमरान और मौसम व्यास की पुलिस तलाश कर रही है, तो साथ ही श्री पांडे के मुताबिक दस्तावेजों के परीक्षण और हस्ताक्षरों की जांच के लिए भी विशेष टीम गठित की गई है। हस्ताक्षर मिलान के लिए ड्राफ्ट भी भेजा जा रहा है। वहीं निगम के अभियंता अभय राठौर की भी तलाश की जा रही है। वहीं एमजी रोड थाना प्रभारी विजयसिंह सिसोदिया का कहना है कि राहुल वडेरा, जाकिर और निगमकर्मी राजकुमार सालवी की रिमांड आज तक मिली है। इन तीनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा और राहुल वडेरा की रिमांड अवधि बढ़ाने की अपील भी कोर्ट से की जाएगी, क्योंकि उससे अभी कई तथ्यों की जानकारी ली जाना है। दूसरी तरफ राहुल वडेरा ने पूछताछ में निपानिया अपटाउन स्थित बंगले, फ्लेट के अलावा सनावदिया में जमीन खरीदने की जानकारी दी है, तो यह भी पता चला है कि उसने निगम इंजीनियर, ऑडिटर सहित अन्य को देश-विदेश की हवाई यात्राएं, महंगे होटलों में ठहराने की व्यवस्था भी करवाई है। वहीं ओएस्टर टाउनशिप में महंगा भूखंड होने की भी जानकारी मिली है। इनकी भी पुष्टि कराई जा रही है।

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