नई दिल्ली (New Dehli) । बॉलीवुड (Bollywood) में लगभग सात दशक (decade) के अपने प्लेबैक सिंगिंग (singing) करियर के बाद दिग्गज गायिका (singer) आशा भोसले (Asha Bhosle) ने साल 2013 में एक्टिंग (acting) की दुनिया में कदम रखा. 79 साल की उम्र में उन्होंने एक मराठी (Marathi) फिल्म ‘माई’ (Mai) से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की. आशा भोसले एक्टिंग में भी अपना हुनर दिखा चुकी हैं, ये बात बहुत कम लोगों को पता है. 10 साल की उम्र में उन्होंने प्लेबैक सिंगिंर के रूप में अपना शानदार करियर शुरू किया. इन वर्षों में, उन्होंने कई भाषाओं में हजारों गानों में अपनी आवाज दी और अपनी सिंगिंग से सभी को दीवाना बना दिया. सिंगिंग के अलावा आशा भोसले (Asha Bhosle Acting) ने अपनी एक्टिंग से भी लोगों को भी हैरान कर दिया. महेश कोडियाल द्वारा निर्देशित फिल्म ‘माई’ समाजिक मुद्दे पर आधारित है.
2013 में मराठी फिल्म ‘माई’ में आशा भोसले ने अपना एक्टिंग टैलेंट बड़े पर्दे पर दिखाया. फिल्म की कहानी बच्चों द्वारा बूढ़े माता-पिता को छोड़ दिया जाने पर है. आशा भोसले फिल्म में अपने बच्चों से अलग मुंबई के एक घर में रहती हैं. राम कपूर और पद्मिनी कोल्हापुरे ने ‘माई’ में आशा के बच्चों का किरदार निभाया है, जो अपनी मां को वृद्धाश्रम में रखने का फैसला करते हैं. फिल्म आधुनिक जीवन की कठिनाइयों और समझ की कमी से प्रेरित यह दुखद विकल्प, पारिवारिक बंधनों और उम्र बढ़ने के मनोवैज्ञानिक प्रभावों की एक चलती-फिरती परीक्षा के लिए रूपरेखा तैयार करता है.
आशा भोसले ने जिस तरह से ‘माई’ का किरदार निभाया था उसे काफी पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला. अपने ही परिवार द्वारा छोड़े जाने की कड़वी सच्चाई का सामना करने वाली एक बुजुर्ग महिला और उसकी कठिनाई को आशा भोसले ने बखूबी बड़े पर्दे पर पेश किया. उन्होंने अपनी एक्टिंग के माध्यम से अपने मल्टी टैलेंट का प्रदर्शन किया, आशा ने ये साबित कर दिया कि उनकी पकड़ सिर्फ सिंगिंग में ही नहीं, बल्कि एक्टिंग में है. ‘माई’ सिर्फ आशा भोसले के अभिनय की शुरुआत से कहीं अधिक फिल्म थी. यह कठिन विषयों की एक व्यावहारिक परीक्षा भी थी जिन्हें समाज में अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. फिल्म में बुजुर्गों की उपेक्षा के संवेदनशील विषय पर फोकस किया गया था. ये एक ऐसा सब्जेक्ट है जिससे दुनिया भर के कई परिवार जुड़ सकते हैं. फिल्म में माई की यात्रा और उस भावनात्मक उथल-पुथल को दर्शाया गया है जिससे बुजुर्ग लोग अपने प्रियजनों द्वारा छोड़े जाने पर गुजरते हैं.
Share: