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Ayodhya: प्राण प्रतिष्ठा के बाद होगा विशेष अनुष्ठान, कर्नाटक के आचार्य कराएंगे 48 दिन की मंडल पूजा

नई दिल्ली (New Delhi)। आखिर वो घड़ी आ गई, जिसका करोड़ो देशवासी इंतजार कर रहे थे। अयोध्या (Ayodhya) में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Consecration of Ramlala’s life) हो गई। प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सोमवार दोपहर 12:20 बजे से शुरु होकर दोपहर एक बजे खत्म हो गया। यह कार्यक्रम पौष माह के द्वादशी तिथि (22 जनवरी 2024) को अभिजीत मुहूर्त (Abhijeet Muhurta.), इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न और वृश्चिक नवांश में संपन्न हुआ।

नवनिर्मित राम मंदिर (Newly constructed Ram temple) में भले ही प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरा हो गया है, लेकिन पूजन और विधि का सिलसिला अगले 48 दिन तक चलेगा। पूजन विधि को मंडल पूजा (Mandal Puja) कहा जाता है जो दक्षिण भारत में काफी प्रचलित है। आइए जानते हैं मंडल पूजा का कार्यक्रम क्या है? आखिर क्या होती है यह विधि? अनुष्ठान का महत्व क्या है?


मंडल पूजा का कार्यक्रम क्या है?
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा पूजन के बाद यानी 23 जनवरी से 48 दिन की पूजा और होगी। 48 दिन की इस पूजा को मंडल पूजा कहा गया है। चंपत राय ने बताया कि उत्तर भारत में यह पूजा उतनी प्रचलित नहीं है, लेकिन अयोध्या के विद्वान और संत इसको जानते हैं। कर्नाटक के उडुपी के जगद्गुरु माध्वाचार्य विश्व प्रसन्न तीर्थ स्वामी के नेतृत्व में यह मंडल पूजा होगी। विश्व प्रसन्न तीर्थ महाराज राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी भी हैं।

मंडल पूजा में क्या-क्या होगा?
48 दिनों की पूजा में चांदी के कलशों से द्रव्य के साथ रामलला की मूर्ति का दैनिक अभिषेक किया जाएगा। इसके अलावा विद्वानों और आचार्यों द्वारा पूजा के दौरान चतुर्वेद और दिव्य ग्रंथों का पाठ किया जाएगा।

आखिर क्या होती है मंडल पूजा?
मंडल पूजा 41 से 48 दिनों की लंबी अवधि और पूरे कठोर रीति-रिवाज के साथ पालन किया जाने वाला अनुष्ठान है। पूजा शास्त्रों में निर्धारित है जिसमें सभी तपस्या और दिनचर्या शामिल होती है। दरअसल, मंडल पूजा दक्षिण भारत के राज्यों में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान या विधि मानी जाती है। केरल के सबरीमाला अयप्पा मंदिर में 41 दिनों तक चलने वाला मंडल कलम विख्यात है। यह विधि लंबी तपस्या के पूरा होने का प्रतीक मानी जाती है।

अनुष्ठान का महत्व क्या है?
मंडल पूजा की शुरुआत गणपति महाराज के आह्वान से होती है। ऐसी मान्यता है कि मंडल पूजा के दौरान नियमित पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। भगवान राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, इसलिए अयोध्या में राम मंदिर में मंडल पूजा कराई जाएगी।

मंडल पूजा के नियम क्या हैं?
मंडल पूजा करने वाले भक्त को 41 दिनों के दौरान कठिन प्रक्रियाओं, दिनचर्या और अनुशासन का पालन करना होता है। यह पूजा विधि एक कुशल गुरु या आचार्य से दीक्षा प्राप्त करने के साथ शुरू होती है। दीक्षा देने वाले गुरु या आचार्य वेदों और शास्त्रों में बहुत पारंगत होते हैं।

ये हैं मंडल पूजा के अहम नियम:
मंडल पूजा के दौरान 41 या 48 दिनों का उपवास।
41 या 48 दिनों तक ब्रह्मचर्य, पवित्रता और त्याग का कठोर पालन।
प्रभु का ध्यान करते हुए विकारों से दूर रहें।

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