खरी-खरी ब्‍लॉगर

बला टली है, पर आने वाले दिनों के लिए सर पर खड़ी है

यह तो चमत्कार हो गया… एक दिन पहले निगम ने दोगुने कर का ऐलान सुनाया… जलकर से लेकर कचरा संग्रहण तक का टैक्स डबल करवाया… भोपालियों ने सम्पत्ति कर को गाइड लाइन से जोडऩे और मनमाना कर वसूलने का फरमान सुनाया और चंद घंटों में ही भाजपाइयों में जनता के दर्द का एहसास नजर आया… धड़ाधड़ सबने फोन घुमाया… विरोध के बयान गुंजाए, बैठक बुलाई और कर स्थगित करने का फैसला सुनाया… पहली बार देश में लोकतंत्र नजर आया… नेताओं को जनता का दर्द समझ में आया… अधिकारियों को हडक़ाया… मुख्यमंत्री तक को हिलाया और ताबड़तोड़ फैसला बदलवाया… मोदीजी के राज में, भाजपा के काज में तो ऐसा कभी नहीं हुआ… सराफा बाजार के जौहरी महीनों दुकान बंद कर विरोध जताते रहे… कपड़ा कारोबारी चीखते-चिल्लाते रहे… किसान आसमान सर पर उठाते रहे…लेकिन भाजपाई न हिले न डुले, न डिगे न टूटे… जो कह दिया सो कह दिया… जो कर दिया सो कर दिया… फिर इन्दौर में ऐसा कौन सा चमत्कार हो गया… दरअसल नेताओं को जनता का दर्द नजर नहीं आया… जनता की आफतों ने उन्हें नहीं डिगाया… जनता के बोझ से उनकी कमर में दर्द नहीं आया… उन्हें तो अपना भविष्य खतरे में नजर आया… बात तो यह थी कि आने वाले निगम चुनाव में उन्हें अपनी हार का खतरा नजर आया… उनकी सरकार का पलड़ा डगमगाया… पंचायत से लेकर निगम तक के चुनाव में घर बैठने खतरा उन्हें नजर आया तो सारे नेताओं ने एक साथ जाजम बिछाया… चंद घंटों में ही फैसला रोकने का फरमान भोपाल से लौटकर इंदौर आया… लेकिन यह खतरा केवल टला है, खत्म नहीं हुआ है… निगम और सरकार दोनों ने अपनी नीयत जाहिर कर दी है… फिलहाल फैसला स्थगित किया है… चुनाव होने के बाद भाजपा की परिषद बनते ही फैसला फिर अमल में लाया जा सकता है… तब कोई नेता जुबान नहीं हिलाएगा… कोई बोलने वाला नजर नहीं आएगा… आज फैसला वापसी का श्रेय हर नेता लेना चाहता है, लेकिन चुनाव के बाद किसी नेता का कोई लेना-देना नहीं रह जाएगा… फिर तर्क दिए जाएंगे… शहर को संभालने, संवारने के खर्चे बताए जाएंगे… साधन-संसाधन की कीमत वसूली जाएगी… कचरे से कमाई के वादे गुल हो जाएंगे… कचरा इकट्ठा करने के दोगुने क्या तिगुने तक दाम लिए जाएंगे… पानी पिलाने की कीमत वसूली जाएगी और इस शहर में आपकी सम्पत्ति है तो वो भी बोझ बन जाएगी… उसके टैक्स की इतनी बड़ी कीमत वसूली जाएगी कि चंद सालों बाद वो सम्पत्ति ही निगम की हो जाएगी… वसूली का यह सितम केवल टला है… यदि भाजपाई परिषद में आएंगे तो खतरे फिर सर चढ़ जाएंगे… भाजपाइयों का संकट यह है कि अधिकारियों की नासमझी ने जनता को भविष्य का आईना दिखा दिया… अब यह तस्वीर बदल नहीं पाएगी और यही तस्वीर दिखाकर कांग्रेसी जनता को डराएंगे और टैक्स बढऩे का दावा कर वोट हड़प जाएंगे… राज्य की सरकार से अलग नगर की सरकार बनाने के लिए लोगों को उकसाएंगे… पता नहीं कांग्रेस के इस डरावने दावों से भाजपाई कैसे भिड़ पाएंगे… स्थगित किए गए कर के बोझ को पूरी तरह समाप्त करने का विश्वास नहीं दिला पाए तो खुद संकट में घिर जाएंगे…

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