- परिवहन विभाग के रवैए से निजी बस संचालकों में आक्रोश
भोपाल। यात्री बसों के छह माह के टैक्स माफी पर संचालक अड़े हुए हैं। बसें नहीं चलने से भोपाल के आईएसबीटी, नादरा, हलालपुर और पुतलीघर सहित पूरे प्रदेश के बस स्टैंड सूने पड़े हैं। उधर संभावना जताई जा रही है कि शहर में 10 दिन का लॉकडाउन खत्म होते ही भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) की लो फ्लोर और मिडी बसों का संचालन शुरू हो सकता है। वहीं शासन-प्रशासन के सहयोग से सागर, बैतूल सहित अन्य मार्गों पर चलने वाली सूत्र सेवा की यात्री बसों का संचालन भी शुरू हो सकता है। उधर, परिवहन विभाग द्वारा टैक्स माफ नहीं किए जाने के कारण निजी बस संचालकों का आक्रोश बढ़ रहा है।
गौरतलब है कि बीते चार महीनों से परिवहन सेवा ठप है। गुरुवार को परिवहन आयुक्त मुकेश जैन ने 31 अगस्त तक बसों सहित अन्य व्यावसायिक वाहनों का टैक्स जमा करने का आदेश जारी किया। इससे बस संचालकों की उम्मीद खत्म हो चुकी है। अब बस संचालकों को हाई कोर्ट से टैक्स माफी की उम्मीद बची है। मप्र प्राइम रूट बस एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने शुक्रवार को बताया कि जब कोरोना काल में बसें चली ही नहीं तो टैक्स क्यों जमा करें? परिवहन अधिकारियों सहित प्रदेश के लगभग सभी जिलों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नाम से जिला कलेक्टरों को टैक्स माफी का ज्ञापन देने के बाद भी शासन की ओर से कोई संतोषजनक जबाव नहीं आया। टैक्स जमा करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2020 करने से यह स्पष्ट है कि सरकार 35 हजार यात्री बसों का 390 करोड़ रुपये टैक्स माफ करना ही नहीं चाहती। अब हाई कोर्ट के फैसले का ही इतंजार है। डिप्टी परिवहन आयुक्त (वित्त) गुणवंत सेवतकर ने बताया कि टैक्स जमा करने की तिथि 31 अगस्त की गई है। जो भी टैक्स बकाया है उसे तय समय में जमा करें और पेनाल्टी की कार्यवाही से बचें।
