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राहुल गांधी से पहले भी 200 नेताओं की हो चुकी है सांसदी-विधायकी रद्द, जानिए किन मामलों में हुई सजा

नई दिल्‍ली (New Delhi) । लोकसभा सचिवालय ने बीते दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) पर एक्शन लिया. सचिवालय ने वायनाड (Wayanad) से सांसद राहुल गांधी की सदस्यता को रद्द (cancel membership) कर दिया. इसके बाद कई सवाल खड़े हुए. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि अब तक ऐसे कितने मामले सामने आए हैं.

देश के लोकतांत्रिक इतिहास में अब तक विभिन्न कारणों से 200 सांसदों-विधायकों को अयोग्य घोषित किया जा चुका है. इन कारणों में दल-बदल, भ्रष्टाचार, रेप, भड़काऊ भाषण, आय के घोषित स्रोतों से अधिक संपत्ति, चुनाव नियमों का उल्लंघन, लाभ के पद पर होना, पुलिस पर हमला, फर्जी जन्मतिथि, फर्जी मार्कशीट, दंगा फसाद में शामिल होने, हत्या या जानलेवा हमला करने के आरोपी, तस्करी और आर्म्स एक्ट के अपराध भी शामिल हैं.


गांधी-नेहरू परिवार में राहुल गांधी तीसरे सदस्य हैं राहुल
गांधी-नेहरू परिवार में राहुल गांधी तीसरे सदस्य हैं जो सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हुए हैं. इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी के बाद अब राहुल गांधी का नंबर आया है. हाल के दशकों में इस तरह के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. अब तक अयोग्य घोषित हुए प्रमुख या कहें चर्चित चेहरों में चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव, आय से अधिक संपदा के लिए जयललिता, भड़काऊ भाषण देने के जुर्म में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान, फर्जी जन्म प्रमाणपत्र केस में उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, रेप मामले में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, भ्रष्टाचार मामले में कांग्रेस राज्यसभा सांसद रशीद मसूद भी शामिल हैं.

सभी राजनीतिक दलों के लोगों पर हुआ एक्शन
इसके अलावा लगभग सभी चर्चित राजनीतिक दलों के नेता और विधायक जिनमे कांग्रेस, बीजेपी, समाजवादी पार्टी, सीपीएम, जेएमएम, कर्नाटक में आजाद विधायक वाटल नागराज, राजद, एआईएडीएमके और मुस्लिम लीग भी अछूते नहीं हैं.

इस तरह का पहला मामला
बता दें कि अयोग्य ठहराए गए सबसे पहले सांसद के रूप में मिजोरम से कांग्रेस सांसद लाल दुहोमा का नाम आता है. उनको 1988 में दल-बदल निरोधक कानून के उल्लंघन का दोषी मानते हुए अयोग्य ठहराया गया था. लाल दुहोमा आईपीएस अधिकारी थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी थे. 1984 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर निर्विरोध लोकसभा सांसद बने. लेकिन 1988 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर अन्य दल में शामिल होते ही उनकी सदस्यता चली गई थी.

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