नई दिल्ली । हम लोग बर्थडे, शादी या किसी पार्टी में हमेशा ही एक दूसरे को उपहार यानी गिप्ट्स (Gift) देते हैं. कई बार हम लोगों को या लोग हमें उपहार में भगवान की प्रतिमाएं या पवित्र हिंदू धार्मिक ग्रंथ भगवद् गीता (Bhagavad Gita) दे देते हैं. कुछ लोग उपहार में भगवद् गीता देना सही मानते हैं, जबकि कुछ लोग ऐसा करना गलत मानते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि हमारे हिंदू धर्म शास्त्रों (Hindu religious scriptures) में इस बारे में क्या कहा गया है?
किसे देनी चाहिए भगवद् गीता?
हिंदू धर्म ग्रंथों में किसी को दान करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. हम किसी को कोई कोई उपहार देते हैं, तो हिंदू धर्म ग्रंथों में इसे भी दान के बराबर माना गया है. हालांकि किसी को गिफ्ट में भगवद् गीता समेत अन्य धार्मिक ग्रंथ देना व्यक्ति के कर्मों पर निर्भर करता है. हिंदू धर्म के अनुसार, अगर व्यक्ति सत्कर्म करता है, तो वो अन्य लोगों को भगवान की मूर्ति, तस्वीर, भगवद् गीता या अन्य धार्मिक ग्रंथ दे सकता है.
ऐसे लोगों को बिल्कुल न दें ये ग्रंथ
हिंदू धर्म ग्रंथों में ये भी बताया गया है कि भगवद् गीता रामचरितमानस, रामायण, ग्रंथ, पुराण, वेद मूर्ति या तस्वीर किन लोगों को दान या उपहार में नहीं देनी चाहिए. स्कंद पुराण में बताया गया है कि पवित्र ग्रंथ (भगवद् गीता, रामचरितमानस, रामायण, ग्रंथ, पुराण या वेद), मूर्ति, तस्वीर किसी ऐसे व्यक्ति को दान या उपहार में नहीं देना चाहिए जो इसकी देखभाल कर पाने की क्षमता नहीं रखता हो.
इतना ही नहीं भगवद् गीता समेत अन्य पवित्र ग्रंथ या मूर्तियां किसी ऐसे व्यक्ति को भी उपाहर या दान में नहीं देनी चाहिए, जो इसका सही उपयोग करने में सक्षम न हो. ऐसे लोगों को भी पवित्र ग्रंथ या मूर्तियां उपहार या दान में नहीं देनी चाहिए, जो मांस, मदिरा का सेवन करते हों, क्योंकि इससे भगवान का अनादर होता है. भगवान उस व्यक्ति के घर में रहना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते जो राक्षसी प्रवृत्ति का होते हैं.
भगवत गीता समेत अन्य ग्रंथ और भगवान की मूर्ति बुहत पवित्र मानी जाती है. इसे हमेशा ऐसे व्यक्ति को उपहार या दान में देना चाहिए जो सात्विक और धार्मिक हो.
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