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एयरटेल को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को मिलने वाले 923 करोड़ के GST रिफंड पर लगाई रोक

डेस्क: टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल (Bharti Airtel) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारती एयरटेल के 923 करोड़ के GST रिफंड पर रोक लगा दी है. सर्वोच्च अदालत ने भारती एयरटेल को हाईकोर्ट के रिफंड करने के आदेश को रद्द कर दिया है. भारती एयरटेल ने जुलाई-सितंबर 2017 के बीच की अवधि के लिए 923 करोड़ का GST रिफंड मांगा था. दिल्ली हाईकोर्ट ने मई 2020 में भारती एयरटेल की याचिका को अनुमति दी थी.

जुलाई-सितंबर 2017 की अवधि के लिए कंपनी ने मांगा था रिफंड
भारती एयरटेल ने जुलाई से सितंबर 2017 की अवधि के लिए 923 करोड़ रुपये का जीएसटी रिफंड मांगा था. कंपनी का कहना था कि उसने जुलाई-सितंबर 2017 के लिए उसने 823 करोड़ रुपये का ज्यादा टैक्स चुकाया है, क्योंकि उस समय GSTR-2A फॉर्म ऑपरेशन में नहीं था.

मई 2020 में, दिल्ली हाईकोर्ट ने भारती एयरटेल की याचिका को अनुमति दी थी, जिसमें सरकार को दावा की गई राशि को वेरिफाई और रिफंड करने का निर्देश दिया गया था. लेकिन केंद्र सरकार ने पिछले साल जुलाई में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.


केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि भारती एयरटेल ने जुलाई-सितंबर 2017 के बीच की अवधि के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट को अंडर-रिपोर्ट किया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, भारती एयरटेल के शेयर बीएसई पर करीब 1 फीसदी की गिरावट के साथ 696.25 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं.

हाईकोर्ट ने आदेश में क्या कहा था?
याचिका को चार रिस्पोंडेंट्स के खिलाफ फाइल किया गया था- भारती एयरटेल, सचिव के जरिए जीएसटी काउंसिल, वित्त मंत्रालय के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के कमीश्नर और सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम को उनके चेयरमैन के जरिए. मई में, हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह ज्यादा जीएसटी क्लेम को आदेश के दो हफ्तों के भी वेरिफाई करके कंपनी को रिफंड की राशि का भुगतान कर दे.

हाईकोर्ट द्वारा 5 मई को दिए गए आदेश की कॉपी में कहा गया था कि क्योंकि याचिकाकर्ता द्वारा मैनुअली फाइल किए गए GSTR-3B पर कोई जवाबदेही नहीं है, इसलिए टैक्स की ज्यादा राशि के भुगतान पर कोई ध्यान नहीं गया. उसने आगे कहा कि एयरटेल अपने रिटर्न को सही करना चाहती है, लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाएगी, क्योंकि इस सिलसिले में सरकार द्वारा लागू कोई वैधानिक प्रक्रिया नहीं है. हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि सुधार के साथ फॉर्म GSTR-3B को दायर करने पर, भारत सरकार को दे हफ्तों के भीतर एयरटेल के क्लेम को वेरिफाई करके उसे रिफंड देना होगा.

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