मध्‍यप्रदेश राजनीति

मप्र उपचुनाव से पहले ग्वालियर-चंबल में भाजपा को बड़ा झटका, डॉ. सिकरवार हुए कांग्रेस में शामिल

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में उपचुनाव से पहले भाजपा को ग्वालियर-चंबल में बड़ा झटका लगा है। अपने समर्थकों के बीच भूरा भैया के नाम से जाने जाने वाले और छात्र राजनीति से ही क्षेत्र के दिग्गज रहे भाजपा नेता डॉ सतीश सिंह सिकरवार ने आखिरकार बीजेपी को अलविदा कह दिया और पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ज्वाइन कर ली है।
दरअसल, उप चुनावों से पहले कांग्रेस ने ग्वालियर में बड़ी सेंध लगा ली है। यहां के दिग्गज ठाकुर नेता सतीश सिकरवार ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के सामने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली । कांग्रेस का “हाथ” थामने के बाद सतीश सिंह सिकरवार ने सिंधिया का नाम लिये बिना कहा कि भाजपा में रहकर जिन सामंती ताकतों के खिलाफ लंबे समय तक संघर्ष किया वो अब भाजपा में आ गए हैं इसलिए मैं वहां काम नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि मैं बिना किसी डील के यहां आया हूं। मैं ग्वालियर महानगर की दोनों सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलाने और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवाने आया हूं। उधर कमलनाथ ने सतीश को सबसे पुराना और करीबी कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सतीश सिकरवार जैसा जुझारू साथी और उनकी टीम का साथ कांग्रेस को मिला है इसका लाभ कांग्रेस को ग्वालियर-चंबल में जरूर मिलेगा। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि जनता के प्रति समर्पित लोग कांग्रेस के साथ आ रहे हैं। उन्होंने अपने निवास पर सतीश सिंह सिकरवार के साथ आये करीब डेढ़ सैकड़ा भाजपा कार्यकर्ताओं को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई। इसमें दो पूर्व पार्षद भी हैं। सदस्यता के मौके पर कांग्रेस के प्रदेश सचिव एवं सतीश सिंह सिकरवार के मित्र अलबेल सिंह घुरैया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष कृष्ण राव दीक्षित सहित कांग्रेस के अन्य कई नेता शामिल थे।
पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने अपने निवास पर आयोजित एक सादे कार्यक्रम में सतीश सिकरवार को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कराई। हालाकि सतीश का कहना है कि उनके परिवार के लोग कहां किस पार्टी में रहेंगे उनका या व्यक्तिगत निर्णय होगा लेकिन वे अब कांग्रेस के सदस्य हैं और पार्टी जो आदेश करेंगी वह उनके लिए शिरोधार्य होगा। सतीश सिकरवार चंबल के बडे़ राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखते हैं। सतीश सिकरवार के पिता गजराज सिंह भी जनता दल और भाजपा से विधायक रह चुके हैं। वहीं उनके चाचा वृंदावन सिकरवार चंबल के बडे़ नेता माने जाते है। सतीश सिकरवार के भाई सत्यपाल सिकरवार भी सुमावली से विधायक रह चुके हैं।
पिछले चुनाव में मुन्नालाल गोयल को दी थी टक्कर
खास बात ये है कि सतीश सिकरवार वही चेहरा है जो पिछली बार बीजेपी के टिकट पर ग्वालियर से मुन्नालाल गोयल के खिलाफ चुनाव लड़े थे, लेकिन चुनाव हार गए थे और तब भी चुनाव में उन्होंने बीजेपी के नेताओं पर भी भीतरघात के आरोप लगाए थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल होना सतीश सिकरवार जैसे जनाधार से जुड़े हुए नेताओं को रास नहीं आया था और उन्होंने इसका दबे स्वर में विरोध भी किया था, लेकिन क्योंकि आलाकमान इस निर्णय के पक्ष में था इसीलिए आवाज नहीं सुनी गई और इसके चलते सतीश सिकरवार को यह कदम उठाना पड़ा।
भाजपा नेता सतीश सिंह सिकरवार के पिता गजराज सिंह सिकरवार और छोटे भाई डॉ सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू मुरैना जिले की सुमावली सीट से भाजपा विधायक रह चुके हैं। वहीं सतीश खुद ग्वालियर नगर निगम में तीन बार और उनकी पत्नी शोभा सिकरवार एक बार पार्षद रह चुकी हैं। इस बार उप चुनाव में वे फिर ग्वालियर पूर्व से टिकट मांग रहे हैं लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया से किये गए वादे के तहत पार्टी, कांग्रेस से भाजपा में आये पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल को टिकट देगी। अंदरखानों से खबर आ रही है कि सतीश सिकरवार की मांग की थी कि यदि पार्टी उन्हें ग्वालियर की ग्वालियर पूर्व से प्रत्याशी नहीं बनाती तो उनके छोटे भाई पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू को मुरैना जिले की जौरा विधानसभा से उम्मीदवार बनाया जाए। इस विषय में उनकी ग्वालियर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से पिछले दिनों चर्चा हो चुकी थी। इतना ही नहीं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी ग्वालियर प्रवास के दौरान डॉ सतीश सिंह सिकरवार को जय विलास पैलेस यानि महल बुलाया था। लेकिन सूत्र बताते हैं कि दोनों ही बड़े नेताओं से शायद सतीश सिकरवार को उतना भरोसा नहीं मिला जितना वे चाहते है, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस का रुख किया।
खबर है कि सतीश सिंह सिकरवार पिछले लंबे समय से कांग्रेस नेताओं के संपर्क में थे, वे ग्वालियर पूर्व विधानसभा के कांग्रेस नेताओं से सौजन्य भेंट भी कर रहे थे। पिछले दिनों उन्होंने ब्लॉक अध्यक्ष राकेश गुर्जर के घर जाकर उनका हालचाल जाना, इस मुलाकात में उनके साथ उनके पुराने मित्र पूर्व कांग्रेस पार्षद अलबेल सिंह घुरैया भी थे। बताया ये भी जा रहा है कि अलबेल के माध्यम से डॉ सिकरवार कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राम निवास रावत से मिले फिर रावत ने सतीश की मुलाकात प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से करवाई। चूंकि कांग्रेस के नेता मुन्नालाल गोयल के खिलाफ कोई मजबूत उम्मीदवार देख रहे हैं तो संभव है कि कांग्रेस सतीश सिंह सिकरवार को उम्मीदवार बना दे। ये तो भविष्य में देखने वाली बात होगी।

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