आचंलिक

भाजपा ने प्रत्याशी घोषित करने में बाजी मारी, कांग्रेस हो गई लेट

  • कांग्रेस में बड़े नेताओं के टिकट कटने के आसार-युवाओं पर रहेगा फोकस

माकड़ोन। कल भाजपा ने नगर के 15 वार्डों से अधिकृत उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इससे नगर भाजपा मे खलबली मच गई और नेताओं ने एक दूसरे पर मनमानी के आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर जमकर जुबानी जंग शुरू कर दी है। नगर भाजपा ने अधिकांश युवा वर्ग को मौका देकर पुराने नेताओं का पत्ता साफ करते हुए उम्मीदवार घोषित कर दिए जिसमें पूर्व नगर अध्यक्ष मूलचंद लाकड़, पूर्व पार्षद यशवंत गामी के साथ ही रमेश दुबे, अनिल सुमन को टिकट नहीं दिया है। सूत्रों के मुताबिक इन नेताओं ने पार्टी की चयन समिति पर मनमानी का आरोप लगाते हुए नाराजगी जाहिर की है। भाजपा में शुरू से टिकटों को लेकर घमासान चल रहा था। बैठक के दौरान भी गहमा-गहमी बनी रही थी। मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस की तरह भाजपा में भी जमकर गुटबाजी चल रही है। अलग-अलग गुट होने के कारण अपने करीबी को टिकट से नवाजने के आरोप प्रत्यारोप सोशल मीडिया और चुनावी चर्चा में लगाए जा रहे हंै।



भाजपा में डेलची के एक वार्ड को लेकर भी जमकर रस्साकशी और बयानबाजी होती रही है। टिकट वितरण से खफा नेता निर्दलीय के रुप में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी की राह में रोड़ा बनने को तैयार हैं। भाजपा उम्मीदवार घोषित करने पर फैले असंतोष के डैमेज कंट्रोल में जुटी हुई हैं। नगर के चार भाजपा नेता जो कि सांसद अनिल फिरोजिया के करीबी हैं, इस काम में लगे हुए हैं लेकिन नाम वापसी के बाद ही पता चलेगा की कितना डैमेज कंट्रोल हुआ है। इसी प्रकार आयाराम गयाराम की राजनीति के लिए मशहूर कांग्रेस में भी उम्मीदवार घोषित करते ही राजनैतिक उथल पुथल शुरू होने वाली है क्योंकि गुटबाजी और प_ावाद के कारण आम सहमति बनाना कांग्रेसियों के लिए भी मुश्किल हो रहा है। कांग्रेस से पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष नंदकिशोर पालीवाल, पूर्व परिषद अध्यक्ष कैलाश मालवीय के अलावा वर्तमान ब्लॉक अध्यक्ष राजेश पाटीदार, कमल जाल ने पार्टी से अपने परिजनों के लिए पार्षद के टिकट मांगे हैं। इन नेताओं की प्रतिष्ठा भी इन चुनावों में दांव पर लगी हुई है। बताया जाता है कि कांग्रेस की चयन समिति को सूची जारी करने में पसीना आ रहा है। एक दो रोज में इसके जारी होने की संभावना है। कुल मिलाकर राजनीति में कोई स्थाई मित्र और शत्रु नहीं रहता है की तर्ज पर दोनों ही राजनैतिक दलों मे असंतोष की ज्वाला भड़केगी जिसके नतीजे में अनेक भाजपाई और कांग्रेसी अपनी पार्टी से बागी होकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में होंगे।

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