इंदौर न्यूज़ (Indore News)

अंधे कत्ल हर साल 3 हत्याओं का नहीं मिलता सुराग, 10 साल में 30 केस उलझे

नहीं मिल रहा कई लाशों को न्याय

इंदौर, मेघश्याम आगाशे। शहर में हर साल लगभग 70 से 80 हत्याएं (Murder) दर्ज होती हैं, लेकिन कुछ मामलों में लाख प्रयास के बाद भी पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच पाती है। ऐसे हर साल लगभग 3 से 4 मामलों की फाइल पुलिस बंद कर खात्मा काट देती है। इस तरह 10 साल के 30 अंधे कत्ल आज तक उलझे हुए हैं, जिनमें से कई में तो पुलिस (Police) मृतक की शिनाख्त तक नहीं कर सकी है, जबकि कुछ में आरोपी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सके हैं और पुलिस इन मामलों को भूल गई है या फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

लगता है इंदौर पुलिस (Indore Police) आगे पाट पीछे सपाट की थ्योरी पर काम कर रही है, जिसके चलते कई लाशों को न्याय नहीं मिल पाता है। थाना प्रभारी बदल जाते हंै और उनके साथ पुराने मामले की फाइल में बंद हो जाती है। इंदौर पुलिस कमिश्नरी के 34 थानों की बात करें तो इनमें 2012 से 2022 के बीच 19 थानों में तीन ऐसे अंधे कत्लों की फाइल पुलिस बंद कर चुकी है।


कत्ल…जिनके नहीं मिले कातिल

बाणगंगा 2012- देवराज भदौरिया निवासी लक्ष्मीपुरी कॉलोनी की चाकू मारकर हत्या हुई थी। 2016 कोतवाली- देवेंद्रसिंह गौतम निवासी पुलिस लाइन,  2011 जूनी इंदौर-रसिकभाई भगवानदीन नगर, 2013 भंवरकुआं- शेरसिंह ठाकुर हरसोला, 2014 भंवरकुआं- कैलाश विश्वकर्मा निवासी द्वारकापुरी, 2019 भंवरकुआं मुकेश राठौर देवास, 2019 चंदननगर- अज्ञात,  2018 छत्रीपुरा- राजा ओमप्रकाश इंदिरानगर,  2016 कनाडिय़ा- संस्कार साहू,  2014 तुकोगंज- राकेश वारेला, 2016 संयोगितागंज- पराग पिता सुशील, 2013 पलासिया- अज्ञात, 2018 बाणगंगा- अज्ञात, 2013 विजयनगर- अज्ञात पुरुष, 2019 विजयनगर- अज्ञात पुरुष, 2015 खजराना- कृष्णा पिता छगनलाल, 2013 कनाडिय़ा- अज्ञात पुरुष, 2013 कनाडिय़ा- सुरेश शर्मा, 2014 आजादनगर- मनीषपुरी, 2017 आजादनगर- संजय चौहान, 2017 गांधीनगर- राकेश मदनलाल, 2013 राजेंद्रनगर- देवीसिंह धार, 2017 एरोड्रम- देवराम पिता काशीराम की हत्या हुई थी, जिसमें आज तक कोई सुराग नहीं मिला।

7 महिलाओं के अंधे कत्ल में भी सुराग नहीं

इस अवधि में शहर में 7 महिलाओं के भी अंधे कत्ल हुए, जिनमें पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच सकी है, वहीं कई मामलों में मृतका की शिनाख्त तक नहीं हुई है। पंढरीनाथ में 2012 में दीपा नामक महिला की हत्या हुई थी। संयोगितागंज में 2012 में सरोजबाई की, लसूडिय़ा में 2020 में वर्षा की, लसूडिय़ा में ही 2020 में अज्ञात महिला की हत्या कर लाश फेंकी गई। राजेंद्रनगर में 2020 में महिला की हत्या के बाद लाश फेंकी गई। एरोड्रम में 2018 में कालीबाई नामक महिला की हत्या में कोई सुराग नहीं लगा है। इसके अलावा खजराना में 2021 में बायपास पर पेट्रोल पंप के पास जलाकर फेंकी गई युवती का मामला है। इस मामले में पुलिस की जांच जारी है।

देहात में भी ऐसे 30 से अधिक मामले

शहर में पुलिस कमिश्नरी लागू होने के बाद देहात के 13 थानों को अलग कर दिया गया है। देहात के इन थानों में भी 10 साल में 30 से अधिक मामले उलझे पड़े हंै। देहात क्षेत्र में हत्या कर लाश फेंकने के मामले ज्यादा रहते हैं। शिनाख्त नहीं होने से मामले सुलझ नहीं पाते हैं। बेटमा, हातोद, बडग़ोंदा, खुडै़ल में लाश फेंकने के मामले आए दिन सामने आते हैं।

खोल रहे हैं बंद अंधे कत्लों की फाइल : एडिशनल कमिश्नर

एडिशनल कमिश्नर राजेश हिंगनकर ने क्राइम ब्रांच का प्रभार मिलने के बाद 10 साल के अंधे कत्लों का रिकार्ड निकलवाया है। उनका कहना है कि इस पर काम हो रहा है। जल्द ही इनमें से कुछ मामले पुलिस सुलझा लेगी। इसके लिए कुछ टीमें बनाई गई हैं, जो केवल इस पर ही काम करेगी।

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