भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

मुरैना और जौरा में बसपा ने उड़ाई भाजपा-कांग्रेस की नींद

भोपाल। प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में कई सीटों पर भाजपा, कांग्रेस और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। ग्वालियर-चंबल अंचल में बसपा का बड़ा वोट बैंक है। खासकर मुरैना जिले में तो बसपा हर चुनाव में दमदार नजर आई है। उपचुनाव में बसपा ने जिले की सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। मुरैना व जौरा में बसपा का हाथी जोरों से चिंघाढ़ रहा है। मुरैना में भाजपा-कांग्रेस ने गुर्जर समाज से प्रत्याशी चुने हैं इस कारण बसपा प्रत्याशी रामप्रकाश राजौरिया दूसरी जातियों के वोटों में सेंधमारी करने में जुटे हैं। जौरा में दो बार के विधायक रहे सोनेराम कुशवाह की शांत स्वभाव वाले नेता की छवि उनके लिए वरदान साबित हो सकती है। सुमावली व दिमनी में बसपा मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। मध्यप्रदेश की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस के अलावा कोई तीसरा दल ऐसा नहीं जो सत्ता में दखल रख पाया हो या चुनावों को प्रभावित कर पाया हो। मुरैना जिला ऐसा है जहां, हर चुनाव में भाजपा-कांग्रेस की तरह बसपा भी दमदार उपस्थिति दर्ज कराती रही है। बसपा का कद यहां ऐसा है कि हाथी के महावत बनकर कई नेता कांग्रेस-भाजपा की राजनीति के महारथी बन गए। यहां हाथी ने कई राजनीतिक पंडितों की भविष्यवाणियों को फेल कर भाजपा-कांग्रेस को रौंदा है। बसपा के हाथी ने मुरैना से भोपाल तक जिन नेताओं को पहुंचाया उनमें सबसे पहला नाम कैबिनेट मंत्री ऐदल सिंह कंषाना का आता है। ऐदल सिंह ने पहला चुनाव 1993 में बसपा से लड़ा था। 1998 में भी बसपा से विधायक रहे। इसके बाद कांग्रेस में चले गए और सरकार में राज्य मंत्री बन गए। कांग्रेस के टिकट पर 2008 और फिर 2018 में विधायक रहे। अब उप चुनाव में भाजपा से ताल ठोक रहे हैं। केवल सुमावली ही नहीं, जिले की अन्य पांच विधानसभा मुरैना, दिमनी, अंबाह, सबलगढ़ और जौरा से भी बसपा प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं।

कहां से कौन जीतकर किस पार्टी में पहुंचा
जौरा पूरे जिले की ऐसी विधानसभा है जहां भाजपा से ज्यादा बसपा का दबदबा रहा है। अब तक तीन बार बसपा चुनाव जीत चुकी है। 1993 और 1998 में बसपा के टिकट पर सोनेराम कुशवाह और फिर 2008 में मनीराम धाकड़ विधायक बने। अब फिर सोनेराम कुशवाह उपचुनाव में बसपा से उम्मीदवार हैं। मुरैना विधानसभा सीट से परशुराम मुदगल ने 2008 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीता था। 2013 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी बनाती उससे पहले ही मुदगल हाथी से उतर भाजपा में शामिल हो गए। सत्यप्रकाश सखवार बसपा के टिकट पर 2013 में अंबाह से विधायक बने। बसपा ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली। 2018 के चुनाव हार गए। अब उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। दिमनी से 2013 के विस चुनाव में बसपा के टिकट पर बलवीर सिंह डण्डोतिया विधायक बने। 2018 में बलवीर ने मुरैना से बसपा प्रत्याशी बने और हार गए। सबलगढ़ से स्व. बूंदीलाल रावत 1998 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते। इसके बाद वह 2003 में कांग्रेस से लड़े और हार गए।

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