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मंत्रिमंडल ने दी ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ को मंजूरी, जानें योजना की खास बातें

नई दिल्‍ली (New Dehli ) । इसमें इस बात पर ध्यान दिया जायेगा कि इन वर्गों (sections) का किस तरह से अधिक कौशल विकास (Skill Development) हो तथा नए प्रकार के उपकरणों एवं डिजाइन (Design) की जानकारी मिले। इस योजना (Plan) के तहत उपकरणों की खरीद (Purchase) में भी मदद की जायेगी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ को मंजूरी प्रदान कर दी जिस पर 13 हजार करोड़ रूपये का खर्च आयेगा । इसके माध्यम से गुरु-शिष्य परंपरा के तहत कौशल कार्यों को बढ़ाने वाले कामगारों का कौशल विकास किया जायेगा तथा उन्हें ऋृण सुविधा एवं बाजार पहुंच प्रदान करने में मदद की जायेगी। इस योजना के तहत शिल्पकारों को 5% की रियायती ब्याज दर पर 2 लाख रुपये तक का ऋण मिलेगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सरकार के इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि विश्वकर्मा योजना से बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कपड़े धोने वाले श्रमिकों और नाई सहित 30 लाख कारीगर परिवारों को लाभ होगा। इस योजना पर वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 के बीच पांच वर्षो की अवधि में 13 हजार करोड़ रूपये का खर्च आयेगा तथा इससे 30 लाख पारंपरिक कारीगरों को लाभ होगा।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कहा था कि यह योजना विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर (17 सितंबर) शुरू की जायेगी। वहीं, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि छोटे-छोटे कस्बों में अनेक वर्ग ऐसे हैं जो गुरु-शिष्य परंपरा के तहत कौशल से जुड़े कार्यों में लगे हैं। इनमें लोहार, कुम्हार, राज मिस्त्री, धोबी, फूलों का काम करने वाले, मछली का जाल बुनने वाले, ताला-चाबी बनाने वाले, मूर्तिकार आदि शामिल हैं।

उपकरण खरीद में भी मदद
वैष्णव ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इन वर्गों का महत्वपूर्ण स्थान है और इन्हें नया आयाम देते हुए मंत्रिमंडल ने ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से इस योजना का संकेत दिया था। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया कि इसमें इस बात पर ध्यान दिया जायेगा कि इन वर्गों का किस तरह से अधिक कौशल विकास हो तथा नए प्रकार के उपकरणों एवं डिजाइन की जानकारी मिले। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत उपकरणों की खरीद में भी मदद की जायेगी।

दो तरह के कार्यक्रम
इसके तहत दो प्रकार का कौशल विकास कार्यक्रम होगा जिसमें पहला ‘बेसिक’ और दूसरा ‘एडवांस’ होगा। इस कोर्स को करने वालों को मानदेय (स्टाइपंड) भी मिलेगा। वैष्णव ने बताया कि कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लाभार्थियों को प्रतिदिन 500 रूपये के हिसाब से मानदेय दिया जायेगा। मंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत प्रथम चरण में एक लाख रूपये का तक कर्ज दिया जायेगा जिस पर रियायती ब्याज (अधिकतम पांच प्रतिशत) देय होगा। व्यवसाय को व्यवस्थित करने के बाद दूसरे चरण में 2 लाख रूपये का रियायती रिण प्रदान किया जायेगा।

15 हजार की अतिरिक्त मदद
सरकारी बयान के अनुसार, पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों, शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र प्रदान कर मान्यता भी दी जायेगी और पहचान पत्र भी दिया जायेगा। इस योजना के तहत कारीगरों को डिजिटल लेनदेन में प्रोत्साहन और बाजार समर्थन प्रदान किया जायेगा। इसके तहत आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए 15 हजार रूपये की मदद दी जायेगी।

पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत पहले चरण में 18 पारंपरिक कार्य करने वालों को रखा गया है। इनमें बढ़ई, नौका बनाने वाले, लोहार, हथौड़ा एवं औजार बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, पत्थर की कारीगरी करने वाले, चर्मकार, राज मिस्त्री, दरी, झाड़ू एवं टोकरी बनाने वाले, धोबी, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले आदि शामिल

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