नई दिल्ली । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने निपाह वायरस (Nipah Virus) से निपटने के लिए केरल सरकार को 5 सूत्रीय रणनीति की सिफारिश की है. मंत्रालय ने यह सलाह वायरस संक्रमण (virus infection) के बीच केरल (Kerala) का दौरा करने वाली केंद्रीय टीम द्वारा दी गई पहली रिपोर्ट के आधार पर की है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण (Rajesh Bhushan) ने केरल के मुख्य सचिव वीपी ज्वॉय (VP Joy) को अस्पतालों और सामुदायिक आधार पर सर्विलांस के जरिए निगरानी रखने और कंटेनमेंट जोन (Containment Zone) में एक्टिव केस की पहचान करने को कहा है. भूषण ने लिखा, ‘एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम और सांस संबंधी बीमारियों के साथ लोगों को खतरों के बारे में आगाह करने की जरूरत है, ताकि संक्रमण के मामलों का तुरंत पता लग सके और इसके लिए फील्ड स्तर पर जागरूकता जगाने की आवश्यकता है.’
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि जिला प्रशासन वायरस संक्रमण के प्राथमिक और द्वितीयक कॉन्टैक्स की पहचान आवश्यक तौर पर करे. उन्होंने लिखा, ‘सभी हाई रिस्क कॉन्टैक्ट्स को क्वारंटीन सेंटर में भर्ती कराया जाना चाहिए और उनके लक्षणों पर निगाह रखी जाए’
हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर इशारा करते हुए स्वास्थ्य सचिव ने लिखा कि कोझिकोड स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त संख्या में सिंगल रूम और आईसीयू तैयार किए जाने चाहिए ताकि किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारी रहे.
भूषण ने आगे लिखा, ‘एंबुलेंस और ट्रेनेड स्टाफ के साथ एक रेफरल सिस्टम तैयार किया जाना चाहिए. एंटी वायरल दवा रीबावेरिन की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता और जिला अस्पतालों में पर्सनल प्रोटेक्टिव एक्विपमेंट (PPE) किट भी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पर्याप्त संख्या में सुनिश्चित की जानी चाहिए.’
केंद्र सरकार ने इसके साथ ही राज्य सरकार को रोजाना के रिपोर्ट किए जाने वाले केसेज के लिए कंट्रोल रूम बनाने का सुझाव दिया है. भूषण ने लिखा, ‘पशु स्वास्थ्य और वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट और अन्य फील्ड ऑफिसर्स के बीच समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए जिससे कि वॉयरोलॉजिकल अध्ययन और अन्य स्टडीज के लिए चमगादड़ (Fruit Bats) के सैंपल हासिल किए जा सकें.’
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