डेस्क। यूट्यूबर और कंटेंट क्रिएटर एल्विश यादव अपने ऊपर लगे सांपों के जहर का गलत इस्तेमाल करने के आरोपों के खिलाफ अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की चौखट पर पहुंचे हैं। एल्विश के ऊपर अपने वीडियो में सांपों का इस्तेमाल और रेव पार्टियों का आयोजन करने व विदेशियों को बुलाने के आरोपों में लोगों को सांप के जहर और अन्य नशीली दवाओं का सेवन कराने के आरोप लगे हुए हैं। अब इन्हीं आरोपों को लेकर अपने ऊपर दर्ज एफआईआर में फाइल हुई चार्जशीट को चुनौती देने के लिए यूट्यूबर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
एल्विश यादव के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और आईपीसी व एनडीपीएस अधिनियम की कई धाराओं में मामला दर्ज है। इसी मामले में नोएटा सेक्टर-49 में एक थाने में दर्ज एफआईआर में एल्विश के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई है। साथ ही अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा समन भी जारी किया गया है।
एल्विश की ओर से इस चार्जशीट और कार्यवाही को यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि एल्विश के खिलाफ जानकारी देने वाला वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए सक्षम नहीं था। यह दलील दी गई है कि आवेदक यानी कि एल्विश के पास से कोई सांप या नशीला पदार्थ बरामद नहीं हुआ है। वहीं एल्विश और अन्य सह-अभियुक्तों के बीच कोई संबंध स्थापित नहीं हुआ है। एल्विश की ओर से ये भी कहा गया है कि सूचना देने वाला व्यक्ति अब पशु कल्याण अधिकारी नहीं है, लेकिन उसने खुद को पशु कल्याण अधिकारी बताते हुए एफआईआर दर्ज कराई है।
एल्विश की ओर से कोर्ट में यह भी दलील दी गई कि आवेदक एक प्रभावशाली व्यक्ति है और टेलीविजन पर कई रियलिटी शो में दिखाई देता है। ऐसे में एफआईआर में एल्विश का नाम होने से मीडिया का इस ओर बहुत ध्यान गया। मीडिया की खबरों के चलते ही पुलिस अधिकारियों ने आवेदक को गिरफ्तार करने के तुरंत बाद धारा 27 और 27 ए एनडीपीएस अधिनियम को लागू करके मामले को और अधिक संवेदनशील बनाने का प्रयास किया। हालांकि, पुलिस अतिरिक्त आरोपों को साबित करने में फेल रही है। जिसके बाद उन्हें हटा दिया गया।
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