रायपुर (Raipur)। इस साल 9 राज्यों में विधानसभा और अगले साल देश में होने वाले आम चुनाव को लेकर एक तरफ जहां राजनीतिक पार्टियों की तैयारियां (Preparations for Parties) चल रही इस बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) का एक ऐसा बयान सामने आया है जो भाजपा (BJP) के लिए मुसीबत बन गया है। भाजपा और आरएसएस (RSS) दोनों ही मिलकर इस बयान पर डेमेजे कंट्रोल में जुट गई है, हालांकि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) का वीडियो भी वायरल हो जिसमें उन्होंने बताया कि उनके बयान को मीडिया ने तोड़मरोड़कर पेश किया है।
इस बीच रामचरितमानस पर जारी विवाद के बीच हिंदू समाज में जाति और वर्ण व्यवस्था पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना शुरू हो गई है। वहीं, भागवत के बयान पर अब शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सवाल उठाए हैं।
विदित हो कि आरएसएस प्रमुख ने मुंबई में रविवार को एक कार्यक्रम में कहा था, ‘भगवान ने हमेशा कहा है मेरे लिए सभी एक हैं। उनमें कोई जाति वर्ण नही हैं, लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, वह गलत था। भारत देश हमारे हिंदू धर्म के अनुसार चलकर बड़ा बने और वह दुनिया का कल्याण करे। हिंदू और मुसलमान सभी एक हैं। भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने संघ प्रमुख से सवाल किया कि वह किस शास्त्र के हवाले से जाति व्यवस्था के बारे में बोल रहे थे, इस बारे में उन्होंने बताना चाहिए।
एक रिपोर्ट के अनुसार रायपुर आए शंकराचार्य ने कहा कि जब गीता जी में भगवान ने स्वयं कहा है कि वर्ण उन्होंने बनाए तो भागवत जी ने कौन से अनुसंधान के आधार पर यह बात कही है। उन्हें बताना चाहिए। दरअसल, शंकराचार्य से मोहन भागवत के बयान को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उनका बहुत लंबा सामाजिक जीवन है, कुछ कहते होंगे तो जिम्मेदारी से कहते होंगे।
अब हमको जब तक पता न चल जाए कि उन्होंने किस आधार पर इतनी बड़ी बात कह दी तब तक हम क्या बोलें। वे ऐसे व्यक्ति नहीं हैं कि वे कोई बात बोलें और हम डांट दें। भागवत जी बड़े आदमी हैं। हम समझते हैं कि जो कुछ कहेंगे जिम्मेदारी से कहेंगे। अब उन्होंने कौन सा ऐसा अनुसंधान कर लिया जिससे पता चल गया कि वर्ण पंडितों ने बनाया है।
शंकराचार्य ने हिंदू राष्ट्र की मांग को भी गलत बताया। उन्होंने कहा कि यह सब जुमलेबाजी है। जो लोग भी यह मांग उठा रहे हैं वह हिंदू राष्ट्र का खाका सामने क्यों नहीं रखते। हिंदू राष्ट्र होगा तो राजनीतिक व्यवस्था में क्या बदलेगा। इसका खाका सामने रखे बिना इस पर बात करना बेमानी है।
Share: