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गधों की जान का दुश्मन बना चीन, जानें किस चीज की वजह से चीन दे रहा मुंहमांगे दाम?

बीजिंग (Beijing)। अपने कुकृत्यों के लिए बदनाम चीन (China), गधों की जान का दुश्मन (enemy of donkeys’ life) बन गया है. हर साल 60 लाख गधों (60 lakh donkeys) की मौत की वजह बन रहा है. दुनिया भर में गधों और खच्चरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करने वाली ब्रिटेन की संस्था ‘द डंकी सेंचुरी’ (The Donkey Sanctuary) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. हालिया रिपोर्ट में बताया है कि हर साल करीब 6 मिलियन (60 लाख) गधों को मौत के घाट उतार दिया जा रहा है. सबसे बड़ा भागीदार चीन है।


द डंकी सेंचुरी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि जिस तरीके से गधों को उनकी खाल के लिए मौत के घाट उतारा जा रहा है और बूचड़खानों में भेजा जा रहा है, अगर उसे फौरन नहीं रोका गया तो आने वाले 5 सालों में दुनिया भर में गधों की कुल संख्या अभी के मुकाबले आधी रह जाएगी।

कहां-कहां घट रही गधों की संख्या?
रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया (Asia) ऐसी जगहें हैं, जहां सबसे तेजी से गधों की संख्या घट रही है. इन देशों में हजारों सैकड़ो अवैध बूचड़खाने खुल गए हैं, जो सिर्फ गधों (Donkey) का कत्ल कर रहे हैं. उनकी खाल और दूसरी चीजों को अवैध तरीके से चीन को एक्सपोर्ट किया जा रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है इन बूचड़खानों में बीमार, बुजुर्ग गधों तक का कत्ल किया जा रहा है।

तो ढूंढे नहीं मिलेंगे गधे…
द डंकी सेंचुरी के सीईओ माइक बेकर कहते हैं जिस तरीके से गधों का कत्ल किया जा रहा है, उससे इनके अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है. एशिया और अफ्रीकन कंट्रीज में गधों की बेतहाशा अवैध तस्करी की जा रही है. कई-कई दिन तक बहुत बुरे हालात में एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है. ना तो खाना मिलता है ना पानी. कई रास्ते में ही तड़प कर मर जाते हैं. इसके बावजूद तस्करों के लिए यह फायदे का सौदा है, क्योंकि मौत के बाद भी खाल बची रही है।

क्या है Ejiao जिसके लिए की जा रही गधों की हत्या?
गधों की हत्या और तस्करी के पीछे सबसे बड़ा कारण एजियो (Ejiao) है. जिसे ‘कोला कोरी असीनी’ या ‘डंकी हाइड ग्लू’ भी कहते हैं. चीन तमाम पारंपरिक दवाईयों में एजियो का इस्तेमाल करता है. खासकर यौनवर्धक, पौरुष शक्ति और ताकत बढ़ाने वाली दवाईयां. इसके अलावा एनीमिया से लेकर वाले स्किन केयर और ब्यूटी प्रोडक्ट्स तक में एजियो (Ejiao) का इस्तेमाल होता. चाय से लेकर खानपान की कई वस्तुओं में भी एजियो (Ejiao) का इस्तेमाल किया जाता है।

एजियो (Ejiao) गधे की खाल से निकाले गए कोलेजन से बनता है. जब खाल से इसे निकाल लिया जाता है तो बार, गोलियों या तरल रूप में दूसरी चीजें मिलाकर प्रोड्यूस किया जा सकता है या उत्पाद का रूप दिया जाता है. thedonkeysanctuary की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में एजियो की भारी डिमांड है, लेकिन सप्लाई लिमिटेड है।

1.5 लाख रुपये किलो तक रेट
एजियो (Ejiao) को ब्लैक गोल्ड भी कहा जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी एक से डेढ़ लाख रुपये किलो के बीच है. क्वालिटी के मुताबिक रेट कम या और ज्यादा भी हो सकता है।

चीन में कितनी बड़ी है Ejiao इंडस्ट्री?
चीन में एजियो (Ejiao) की कितनी बड़ी इंडस्ट्री है, इसको इस बात से समझ सकते हैं कि सालाना 20% से ज्यादा की ग्रोथ है. खासकर, पिछले एक दशक में यह इंडस्ट्री (Ejiao Industry and Market) से तेजी से उभरी है. 2013 में जहां चीन हर साल 3200 टन एजियो का उत्पादन करता था, 2016 आते-आते यह 5600 टन पहुंच गया. 2016 के बाद तो और बूम आया. 2016 से 2021 के बीच एजियो (Ejiao) का प्रोडक्शन 160% बढ़ गया. thedonkeysanctuary के मुताबिक अगर यही ट्रेंड बरकरार रहा तो साल 2027 तक प्रोडक्शन 200% बढ़ सकता है।

चीन को हर साल 48 लाख गधों की जरूरत
‘द स्किन अपडेट’ (The Skin Update) नाम के एक अध्ययन के मुताबिक चीन की एजियो (Ejiao) इंडस्ट्री को हर साल लगभग 4.8 मिलियन (48 लाख) गधों की खाल की आवश्यकता होती है. 1992 में, चीन में करीब 11 मिलियन (एक करोड़ दस लाख) गधे थे, लेकिन आज यह संख्या घटकर केवल 2.6 मिलियन (26 लाख) रह गई है. ऐसे में चीनी Ejiao इंडस्ट्री अपनी आपूर्ति सुनिश्चित करने और गधे की खाल की तलाश में दूसरे देशों की मदद ले रही है।

मुंहमांगी कीमत देने को तैयार
पाकिस्तान (Pakistan), चीन (China) को गधों और गधों की खाल का सबसे बड़ा सप्लायर है. रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन, पाकिस्तान जैसे देशों से सामान्य रेट के मुकाबले दोगुना ज्यादा दाम देकर अपनी सप्लाई सुनिश्चित कर रहा है।

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