विदेश

चीन ने साफ किया- रूस के साथ रिश्ते में दूसरे देशों का दखल बर्दाश्त नहीं


बीजिंग: चीन ने रूस के साथ संबंधों को तोड़ने की अपील को लेकर अमेरिका (US China Tension) को खूब खरीखोटी सुनाई है. चीन ने कहा कि वह रूस से अपने संबंधों के मामले में किसी भी तरह के दबाव और जबरदस्ती को खारिज कर देगा.

चीन का यह बयान अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन की उस अपील के बाद आया है कि वह रूस से अपने विशेष संबंधों का इस्तेमाल करते हुए मॉस्को को यूक्रेन में युद्ध (Russia Ukraine War) खत्म करने के लिए प्रोत्साहित करे. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने युद्ध के मामले में चीन के रुख का बचाव किया है. झाओ ने कहा कि चीन ने हालात सामान्य करने, संकट के समाधान और शांति की पुनर्बहाली के लिए पर्याप्त प्रयास किया है.

रूस-यूक्रेन संकट पर चीन ने अपनी भूमिका को सराहा
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यूक्रेन के मामले में चीन बहुत सकारात्मक भूमिका निभा रहा है. हालांकि, चीन ने यूक्रेन पर अपने रणनीतिक साझेदार रूस द्वारा किये गये हमले की निंदा करने से इनकार कर दिया. यहां तक कि बीजिंग ने रूस का सम्मान करते हुए इस झड़प के लिए अब तक युद्ध शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है. यूक्रेन के साथ संघर्ष को रूस ने विशेष सैन्य अभियान नाम दिया है.


चीन किसी भी दबाव और जबरदस्ती को स्वीकार नहीं करेगा
झाओ ने कहा कि चीन अपने खिलाफ लगाये गये सभी बेबुनियाद आरोपों और संदेहों को खारिज करता है. उन्होंने कहा कि चीन किसी भी तरह के दबाव और जबरदस्ती को स्वीकार नहीं करेगा. युद्ध को लेकर रूसी प्रोपेगेंडा को भी चीन ने बढ़ावा दिया है, जिसमें यह दावा शामिल है कि अमेरिका और यूक्रेन जैविक हथियार विकसित कर रहे हैं. चीन ने रूस के खिलाफ लगाये गये आर्थिक प्रतिबंधों का भी विरोध किया है.

रूस का साथ देता रहा है चीन
चीन इस मामले में संयुक्त राष्ट्र में मतदान के दौरान अनुपस्थित रहा या फिर मास्को का साथ दिया. गौरतलब है कि बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के एक हफ्ते बाद ही 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला हो गया था. रूसी हमले के संदर्भ में झाओ ने एक बार फिर दोहराया कि चीन का यह रुख रहा है कि सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान और सुरक्षा होनी चाहिये. उन्होंने कहा कि यूक्रेन की संप्रभुता और सुरक्षा की भी रक्षा होनी चाहिए, लेकिन रूस की जायज सुरक्षा चिंताओं का भी सम्मान करना चाहिये.

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