नई दिल्ली। इस साल दिवाली के अवसर पर कुछ खास होने वाली है। चीनी सामानों को मात देने के लिए इस बार भारतीय कारीगर अपने देश की मिट्टी से बढ़िया दीये और बंदनवार तैयार कर रहे हैं। इसे देश भर के बाजारों में भी भिजवाने की व्यवस्था हो रही है। दरअसल कैट ने इस साल चीनी दिवाली मनाने के बजाय हिंदुस्तानी दिवाली मनाने का आह्वान लोगों से किया है। इसीलिए ये तैयारी चल रही है।
कारोबारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का कहना है कि देशभर में भारतीय सामान की सहज उपलब्धता को लेकर व्यापक तैयारी पूरी कर ली गई है। अब त्योहार से जुड़े इन सामानों की वर्चुअल प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इन सामानों को देश भर के बाजारों में बने खास स्टाल्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए देश के प्रत्येक शहर में व्यापारिक संगठनों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। कैट का कहना है कि उन्होंने दो महीने पहले से ही देश के व्यापारिक संगठनों को सतर्क कर दिया था। इन संगठनों ने अपने अपने क्षेत्र के कुम्हार, शिल्पकार, कारीगर, मूर्तिकार, और कलाकारों को चिन्हित कर उनसे बड़ी संख्या में दिवाली से जुड़े सामानों को बनवाना शुरू किया। इससे पहले ये देख लिया गया है कि किस वस्तु की मार्केट डिमांड ज्यादा है। मांग के हिसाब से निर्माण कार्य कराने का निर्देश दिया गया था। इन सामानों को अब ये व्यापारी संगठन ही आम जनता तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
इससे निचले स्तर पर आएगी आत्मनिर्भरता
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि दीवाली से जुड़े सभी सामान जैसे दीये, मोमबत्ती, बिजली की लड़ियां, बिजली के रंग बिरंगे बल्ब, बंदनवार, घरों को सजाने के दूसरे सामान, रंगोली, शुभ-लाभ के चिह्न, पूजन सामग्री इत्यादि सब कुछ इस बार भारतीय होगा। इसे वह कारीगर बना रहे है, जिन्हें हमने भुला दिया था। इनमें महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हैं। खंडंलवाल ने बताया कि कैट देश के सबसे निचले तबके के लोगो को आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश की महिलाओं के सशक्तिकरण और भारत से चीनी सामानों के पूर्ण सफाये के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।
इस दिवाली गरीबों के घर भी होंगे रौशन
कैट महामंत्री ने कहा कि घरो के दरवाजों पर सजने वाले बंदनवार इस साल की दीवाली का मुख्य आकर्षण होंगे। पहले चीन में सस्ते सामग्रियों से बने वंदनवार भारत तो पहुंचते तो थे, लेकिन न तो उनमें वो ताजगी होती थी और न ही रेंज होता था। पर इस साल ये देसी वंदनवार हर रेंज और डिजाइन में उपलब्ध होगा। इनमें अधिकांश महिला कारीगरों के हाथों से बने ये वंदनवार सौ रुपये से शुरू हो कर 2 हजार रुपये तक बिक रहे हैं। इनकी खूबसूरती देखते ही बनती है। इनमे न सिर्फ गोटा, मोती आदि के काम किए गए है, बल्कि इसमें शुभ लाभ, लक्ष्मी गणेश, कलश आदि बने हुए हैं।भारतीय दीवाली पर ये देसी वंदनवार घरों की शोभा दोगुनी करने के साथ-साथ किसी गरीब कारीगर के घर को भी रौशन करने का काम भी करेंगे।
इस साल दिवाली पर मिलेंगे डिजाइनर देसी दीये
खंडेलवाल ने कहा दीयों के बगैर तो दिवाली अधूरी रहती है। देवी लक्ष्मी के शुभ आगमन को प्रकाशित करने और घरों से नकारात्मक उर्जा को दूर भगाने के लिए दिवाली पर दीयों को खास तौर पर सजाया जाता है। इसको देखते हुए इस साल देसी कुम्हारों ने महिला कारीगरों के साथ मिल कर दीयों की सुंदरता में चार चांद लगा दिए हैं। मिट्टी से बने पारंपारिक दीयों की रेंज इस साल कुछ खास है। साथ ही अलग-अलग धातुओं से बने डिजाइनर टी लाइट्स की एक आकर्षक रेंज बाज़ारों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मौजूद है। लंबे समय से इसी व्यवसाय से जुड़ी श्रद्धा नेगी का मानना है कि देसी दीये और टी लाइट्स चीन से काफी अलग होंगे क्यों कि इनसे देश भक्ति की भावना झलकती है। (एजेंसी, हि.स.)