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जलवायु परिवर्तनः वसंत के मौसम में एलर्जी बढ़ने का खतरा

नई दिल्ली। सर्दियों के बाद भारत सहित दुनिया के कई देशों में धूल भरी हवाओं का मौसम आ जाता है। जहां पौधे या बाग बगीचे बहुत ज्यादा होते हैं, वहां पराग (Pollens) के कण भी हवाओं में भारी मात्रा में मौजूद रहते हैं जो लोगों में एलर्जी (Allergy) की समस्याएं बढ़ा देते हैं. नए अध्ययन में बताया गया है कि इस साल जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण एलर्जी का मौसम लंबा होगा जिसें पराग के कणों की मात्रा भी ज्यादा होगी इससे लोगों में एलर्जी की समस्या भी ज्यादा और गंभीर रूप ले लेगी।

मिशिगन यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिकों ने अमेरिका में 15 अलग अलग पराग वाले पौधों (Pollen Plants) का अध्ययन किया और कम्पयूटर सिम्यूलेशन का उपयोग कर गणना कि इस सदी के अंत तक एलर्जी (Allergy) का मौसम कितना खराब हो जाएगा. तब लोगों की आंखें और भी ज्यादा लाल (Red Eyes) होने लगेंगी. नेचर कम्यूनिकेशन जर्नल में प्रकाशित नए अध्ययन के अनुसार, जैसे जैसे दुनिया गर्म होने लगेगी, एलर्जी का मौसम कुछ हफ्ते पहले ही शुरू हो जाया करेगा और कई दिन बाद तक भी चलेगा और पहले से बदतर रहेगा।


दुनिया के कई जगहों पर पराग के कणों (Pollens) की मात्रा तीन गुना ज्यादा हो जाएगी. गर्म मौसम होने से पहले पौधों में फूल (Flowers) पहले के मुकाबले जल्दी खिलने लगेंगे और ज्यादा दिन बाद तक खिलते रहेंगे. मिशिगन यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक और इस अध्ययन के सहलेखक एलिसन स्टेनर का कहना है कि ज्यादा जीवश्म ईंधन (Fossil Fuel) के जलने से हवा में अतिरिक्त कार्बनडाइऑक्साइड पौधों में ज्यादा पराग पैदा करने में मददगार होगी।

शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसा पहले से होने भी लगा है. अन्य शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक साल पहले हुए अध्ययन में पाया गया था कि 1990 से 2018 तक पराग के कणों (Pollens) की मात्र बढ़ गई है और एलर्जी (Allergy) का मौसम पहले आने लगा है और इसकी वजह जलवायु परिवर्तन (Climate Change) ज्यादा है. एलर्जी विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में पराग का मौसम सेंट पैट्रिक डे (17 मार्च) तक आता था, लेकिन अब यह एक महीने पहले अमूमन वेलेंटाइन डे यानि 14 फरवरी के आसपास आ जाता है।

नए अध्ययन में यह भी पाया गया है कि एलर्जी का यह मौसम (Allergy Season) ज्यादा लंबा खिंचेगा और परागों की मात्रा (Pollens) भी पहले से बहुत ही ज्यादा होने लगेगी. यह कितनी ज्यादा और कितनी देर तक रहेगी यह सब कुछ पराग के प्रकार, उसके स्थान और ग्रीन हाउस उत्सर्जन (Greenhouse Emissions) की मात्रा पर निर्भर करेगा. अगर इस सदी के अंत तक कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस से हुए ग्रीन हाउस उत्सर्जन में मध्यम कटौती करने से पराग का मौसम 20 दिन पहले शुरू होगा. वहीं चरम स्थितियों में यह मौसम अमेरिका में हाल के दशकों की तुलना में 40 दिन पहले शुरू होगा।

इस नए अध्ययन की प्रमुख लेखक और मिशिगन यूनिवर्सिटी की जलवायु शोधकर्ता यिंगजियाओ झांग का कहना है कि दुनिया में 30 प्रतिशत और अमेरिका (USA) में 40 प्रतिशत बच्चे पराग (Pollen) के कारण होने वाली एलर्जी (Allergy) से पीड़ित रहते हैं. इससे चिकित्सकीय लागत के अलावा कार्यों दिवसों का भी नुकासन होता है. इस अध्ययन मे शामिल नहीं रहे मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के एनवायर्नमेंटल हेल्थ के प्रोफेसर आमिर सैप्कोटा का कहना है क एलर्जी अमेरिका 2.5 करोड़ अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत ज्यादा मुश्किल होता है. इससे समस्या और भी गंभीर हो सकती है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि एलर्जी (Allergy) केवल अमेरिका (USA) में ही नहीं बल्कि दक्षिणपूर्व एशिया में भी ज्यादा तेजी से बढ़ेगी. उत्तरपश्चिम प्रशांत में एल्डर पेड़ों के पराग का मौसम (Pollen Season) के समय में नाटकीय बदलाव आएंगे. टैक्सास में साइप्रेस पेड़ों के परागा काज्यादा बुरा हाल होगा. वहीं रैगवीड और घासों, समान्य पराग एलर्जी फैलाती हैं, के भी लंबे सीजन होंगे और उनकी मात्रा भी ज्यादा होती जाएगी. 1990 के बाद से पराग संबंधी समस्याओं में दोगुनी तेजी आई है. सेहत के लिहाज से यह बहुत अहम अध्ययन है।

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