नई दिल्ली: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज यानी बुधवार को होशियारपुर जिले में बलाचौर-दसूया राज्य राजमार्ग पर तीन टोल प्लाजा को बंद करने की घोषणा की हैं. उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि टोल कंपनी ने शहीद भगत सिंह नगर, नंगल शहीदां और मानगढ़ में मजारी में टोल प्लाजा चलाने के लिए विस्तार का अनुरोध किया था लेकिन सरकार ने जनता के हितों के ध्यान में रखकर अनुमति देने से इनकार कर दिया. उनके साथ पंजाब के राजस्व मंत्री ब्रह्म शंकर जिम्पा और विधानसभा उपाध्यक्ष जय किशन रोरी भी थे.
मान ने कहा, ‘अगर कांग्रेस, अकाली या बीजेपी की सरकार होती, तो वह इस प्रस्ताव पर सहमत हो जाती, लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार हमेशा जनता के हितों के बारे में सोचती है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के ज्यादतर मुख्य सड़के दूसरे राज्यों को जोड़ती हैं, आज भी ऐसी ही हैं, टोल टैक्स के नाम पैसा वसूला जा रहा है. आने वालों दिनों जिन टोल प्लाजा ने अपनी डेडलाइन पूरी कर ही है. उन्हें बंद कर दिया जाएंगा.
‘ टोल कंपनियों और पिछली सरकारकी सांठगांठ का किया पर्दाफाश’
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार टोल कंपनियों और अतीत में राज्य पर शासन करने वाले राजनीतिक दलों के सांठगांठ का ‘पर्दाफाश’ करने आए थे. मान ने पिछली राज्य सरकारों पर वर्षों तक टोल कंपनियों को जनता को लूटने देने का आरोप लगाया. मान ने कहाकंपनियों ने समझौते की शर्तों का पालन नहीं किया, फिर भी उनके समझौतों को नियमित रूप से नवीनीकृत किया गय.
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने अपने स्वार्थ के लिए जनता के हित को टोल कंपनियों के हाथों गिरवी रख दिया. हम अब और लूट नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि आज बंद हुए तीन प्लाजा का संचालन करने वाली कंपनी ने कोविड-19 की मंदी और किसानों के आंदोलन के कारण हुए नुकसान का हवाला देते हुए विस्तार की मांग की थी, जबकि इसने सड़क मरम्मत और अन्य सुविधाओं पर खर्च किए गए धन की तुलना में कहीं अधिक धन कमाया था.
पिछली सरकारों पर लगाया ये आरोप
सीएम ने कहा कि उसे कारण बताओ नोटिस दिया जा रहा है कि क्यों न उसे अनुबंध समझौते का उल्लंघन करने के लिए काली सूची में डाल दिया जाए. उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों को अनुबंध समाप्त कर देना चाहिए था लेकिन उन्होंने विश्वासघात के लिए जुर्माना भी नहीं लगाया. मीडिया के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि टोल प्लाजा बंद होने से बेरोजगार हुए कर्मचारियों का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन अगर सरकार के पास टोल फ्री सड़कों की मरम्मत के लिए पर्याप्त धन है तो जवाब दिए बिना छोड़ दिया जाएगा.