भोपाल। मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर राजनीति तेज हो गई है। एक ओर जहां आरक्षण को लेकर विपक्ष सत्तापक्ष को घेर रहा है तो वहीं सत्तापक्ष भी विपक्ष आड़े हाथों ले रहा है।
बता दें कि सूबे में 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग पर राजनीति हो गई है। पिछड़ा वर्ग के मंत्री मोहन यादव, कमल पटेल, रामखेलावन पटेल, भरत सिंह कुशवाह और विधायक शामिल होंगे। बैठक में एडवोकेट जनरल पुरुषेन्द्र कौरव सहित दिल्ली के वरिष्ठ वकीलों को भी बुलाया गया है।
हाल ही में मानसून सत्र के दौरान सदन में कांग्रेस और बीजेपी के बीच हुई तीखी तकरार के बाद अब सड़क पर भी आरक्षण की लड़ाई और तेज होती दिखाई दे रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने OBC आरक्षण के मुद्दे पर आज बड़ी बैठक बुलाई है। मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27% आरक्षण देने को लेकर सियासत गरमा गई है।
खबरों के अनुसार आज मंत्रालय में होने वाली इस बैठक में OBC के सभी मंत्री और विधायकों को बुलाया गया है। इस बैठक में प्रदेश के महाधिवक्ता और वरिष्ठ वकीलो का पैनल भी शामिल होगा जो सरकार के सामने कानूनी राय रखेगा।
बता दें कि इससे पहले पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण के मुद्दे पर विधानसभा सत्र से पहले सीएम हाउस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस वर्ग के नेताओं के साथ एक अहम बैठक हो चुकी है। इस दौरान बीजेपी के पिछड़ा वर्ग के मंत्री, विधायक, सांसद और पिछड़ा वर्ग मोर्चा के पदाधिकारी बैठक में शामिल हुए थे। सीएम हाउस में हुई इस बैठक में मध्य प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव भी मौजूद थे।
बता दें कि दो साल पहले सत्ता में आई कमलनाथ सरकार पिछड़ा वर्ग को 27 फ़ीसदी आरक्षण देने का विधेयक लेकर आई थी, लेकिन 27 फ़ीसदी आरक्षण पर तत्काल ही हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया था। इसके बाद प्रदेश में ओबीसी को 14% आरक्षण ही दिया जा रहा है। हाल ही में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ओबीसी को 27 फ़ीसदी आरक्षण ना मिल पाने के लिए मौजूदा शिवराज सरकार पर निशाना बनाया जा रहा है ।
कांग्रेस की ओर से ये आरोप लगाया गया कि सरकार आरक्षण पर कोर्ट में ठीक तरह से पक्ष नहीं रख रही है। इसी का काउंटर करने के लिए बीजेपी एक्टिव हुई और अब बीजेपी की ओर से ये आरोप लगाया जा रहा है कि कांग्रेस आरक्षण का विधेयक सिर्फ वोटबैंक के लिए लेकर आई थी। खुद सीएम शिवराज ने कल कहा था कि कमलनाथ सरकार ने कोर्ट में समय पर जवाब पेश नहीं किया था और इसलिए उस पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया था। इसी को लेकर अब कांग्रेस भाजपा सरकार को घेर रही है।