इंदौर न्यूज़ (Indore News)

165 रुपए स्क्वेयर फीट में खसरों पर काबिज अमीरों की कॉलोनियां भी हो सकेंगी वैध

पूर्व के पंचायत क्षेत्रों में की अवैध कॉलोनियों को भी शासन ने दे दी सहमति

इंदौर। गरीबों से लेकर आम आदमी की अवैध कॉलोनियों (illegal colonies) को वैध करने की प्रक्रिया निगम सहित पंचायत क्षेत्रों में चल रही है, वहीं शहर (Indore) के आसपास कई इलाके ऐसे हैं, जहां विगत वर्षों में खेती की जमीनों यानी खसरों पर बड़े-बड़े भूखंडों पर अमीरों की अवैध कॉलोनी भी काबिज हो गई, जिनमें भव्य बंगले महलनुमा बंगले भी बन गए हैं। अब ऐसी लगभग 20 चर्चित कॉलोनियों को भी वैध करने की सहमति शासन ने नगर निगम को दे दी है। परिषद् संकल्प के मुताबिक 150 रुपए स्क्वेयर फीट की राशि विकास शुल्क और 15 रुपए प्रति स्क्वेयर नर्मदा केपिटल फंड (Capital Fund) यानी कुल 165 रुपए का शुल्क लेकर इन कॉलोनियों को भी वैध किया जा सकेगा। हालांकि प्रगति विहार जैसी विवादित कॉलोनियों को अवश्य इसका फायदा नहीं मिल सकेगा। निगम के कालोनी सेल द्वारा अब इन कॉलोनियों के संबंध में प्रक्रिया शुरू की जा रही है।


अभी इंदौर सहित प्रदेशभर में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश पर अवैध कॉलोनियों को वैध करने का अभियान चल रहा है, जिसके चलते प्राधिकरण भी अपनी पुरानी और अमल में नहीं आ सकी योजनाओं को डिनोटिफाइड करवा रहा है, ताकि इन जमीनों पर बसी अवैध कॉलोनियां भी वैध हो सके। दूसरी तरफ बिचौली हब्सी, मर्दाना, कनाडिय़ा रोड, बढिय़ाकीमा सहित अन्य क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में खसरों की जमीनों पर स्वयं के आवास मंजूर करवाकर बड़े-बड़े बंगले बना लिए हैं। खेती की जमीनों पर 5-10 हजार से लेकर 40 हजार स्क्वेयर फीट के बड़े आकार के भूखंड इन कॉलोनियों में काटे गए। ऐसी लगभग 20 चर्चित कॉलोनियां हैं। हालांकि इनमें सडक़ सहित कई इन्फ्रास्ट्रक्चर पहले से ही तैयार है। लिहाजा नगर निगम वैध करने की प्रक्रिया के दौरान जो काम बचे हुए हैं उनका स्टीमेट तैयार कर राशि जमा करवाएगा। हालांकि नगर निगम पूर्व में 150 रुपए विकास शुल्क और 15 रुपए नर्मदा कैपिटल फंड लेने का निर्णय कर चुका है और उसी मान से इन अमीरों की कालोनियों से शुल्क लिया जाएगा। पिछले दिनों निगमायुक्त ने नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय से इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा था, जिस पर अभी पिछले दिनों उप सचिव आरके कार्तिकेय ने पत्र भिजवाया, जिसमें आयुक्त को निर्देश दिए कि ऐसी कॉलोनियां, जिनमें पूर्व में पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत कृषि जमीनों को विभक्त कर बड़े-बड़े भूखंडों पर स्वयं के आवास की अनुमति दी है। उन कॉलोनियों को भी वैध किए जाने की प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है।

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