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अग्निपथ स्कीम के खिलाफ कांग्रेस ने छेड़ा अभियान, कहा- ‘डेढ़ लाख जवानों के साथ हुआ अन्याय’

नई दिल्‍ली (New Delhi) । बहुतेरे सवालों और प्रदर्शनों के बीच नरेंद्र मोदी की सरकार (Narendra Modi government) डेढ़ बरस पहले अग्निपथ स्कीम (Agneepath Scheme) लेकर आई थी. सरकार ने तय किया कि सेना में जवानों की भर्ती अब इसी प्रक्रिया के जरिये होगी. कांग्रेस पार्टी (congress party) ने फिर एक बार इस योजना के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. पार्टी ने कहा है कि वह उन 1 लाख 50 हजार नौजवानों की लड़ाई लड़ेगी जिनको सेना में नौकरी के लिए चुना तो गया मगर अग्निपथ योजना की शुरूआत के बाद उनकी सेना में भर्ती नहीं हो सकी.

कांग्रेस ने इन्हीं डेढ़ लाख जवानों के हक की लड़ाई के वास्ते इस मुहिम का नाम जय ‘जवान अभियान’ दिया है. ये मुहिम तीन चरणों में इन जवानों के हक की बात करेगी. पार्टी अग्निपथ स्कीम का शुरूआत ही से विरोध करती रही है. अग्निपथ स्कीम के लागू होने पर कांग्रेस पार्टी ने इसे ‘नो रैंक, नो पेंशन, ओनली टेंशन’ कहा था. अब फिर से पार्टी इसके खिलाफ मुखर हुई है. हालांकि इस दफा लड़ाई थोड़े अप्रत्यक्ष तरीके से लड़ी जा रही. वो डेढ़ लाख जवान जिनकी जॉइनिंग इस अभियान के आने के बाद अटक गई, पार्टी उनकी बात अगले कुछ महीनों करती दिखेगी.


जय जवान अभियान: अन्याय के खिलाफ न्याय
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण जिसे न्याय यात्रा नाम दिया गया है, उसके तहत ‘न्याय’ पर बहुत जोर दे रहे हैं. ‘न्याय का हक मिलने तक’ के नारे के साथ राहुल असम, मणिपुर, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, पश्चिम बंगाल और बिहार होते हुए आगे बढ़ रहे हैं. इस यात्रा में राहुल सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय देने की वकालत कर रहे हैं.

यात्रा के 18वें दिन राहुल ने इसी न्याय के बैनर तले 1.5 लाख युवाओं के जॉइनिंग का मसला उठाया. राहुल ने अग्निपथ योजना के बहाने इन जवानों को नियुक्ति पत्र नहीं देने को घोर अन्याय कहा. साथ ही कहा कि वे इस अन्याय के खिलाफ ‘जय जवान अभियान’ की शुरुआत कर रहे हैं और युवाओं को को न्याय दिलाकर ही दम लेंगे. राहुल ने ये मुद्दा हर फोरम से उठाने की बात की.

कांग्रेस पार्टी के क्या हैं आरोप?
आरोप हैं कि 2019 से 2022 के दौरान भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना के लिए 60 लाख जवानों ने परीक्षाएं दी, इनमें से 1 लाख 50 हजार के करीब जवानों को चुना गया. कांग्रेस का कहना है कि इस परीक्षा को आयोजित कराने के लिए छात्रों से फीस के तौर पर 100 करोड़ रूपये वसूले गए और फिर क्या हुआ, अग्निपथ स्कीम के हकीकत में आ जाने के बाद अब तक चुने गए डेढ़ लाख जवानों को सेना में शामिल नहीं किया गया. कांग्रेस ने फीस के 100 करोड़ रूपये के संबंध में कहा है कि प्रधानमंत्री से ये पूछा जाना चाहिए कि “इस पैसे का क्या हुआ, क्या उसे भी किसी इवेंट पर खर्च कर दिया गया.”

कांग्रेस पार्टी तीन चरणों में लड़ाई लड़ने की बात कह रही. उसका पहला चरण 1 फरवरी यानी आज से शुरू हो रहा है. इस दौरान पार्टी जन संपर्क कर नौजवानों के इस मसले को गांव, खेत-खलिहान तक पहुंचाएगी. मुहिम का दूसरा चरण शुरू होगा 5 मार्च को जो कि 10 मार्च तक चलेगा, पार्टी ने इस चरण का नाम सत्याग्रह दिया है. वहीं आखिरी चरण के दौरान 17 से 20 मार्च के बीच कांग्रेस इसको लेकर पदयात्रा करती दिखेगी.

“अग्निपथ योजना खत्म कर देगी कांग्रेस”
यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी, एनएसयूआई प्रेसिडेंट वरूण चौधरी, पार्टी के मीडिया और प्रचार का जिम्मा देखने वाले पवन खेड़ा और एक्स सर्विसमैन सेल के चेयरमैन रिटायर्ट कर्नल रोहित चौधरी ने कल इस सिलसिले में प्रेस कांफ्रेंस कर के अग्निपथ स्कीम को लेकर खूब बुरा-भला कहा. कांग्रेस ने इसे सेना के जरिये देश की सेवा करने का सपना संजोने वाले लाखों उम्मीदवारों के भविष्य के खिलाफ बताया. पार्टी ने दावा किया कि इस योजना को शुरू करने से पहले डिफेंस को जानने-समझने वाले एक्सपर्ट्स की राय लेनी चाहिए थी जो की नहीं ली गई.

कांग्रेस ने इसे कांट्रैक्ट पर सैनिकों की भर्ती कहा, साथ ही नौकरी की गारंटी न होने पर चिंता जाहिर की. यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने कहा कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है तो अग्निपथ योजना को खत्म कर देगी. पार्टी जब इसे मुद्दा बना रही है तो ये ध्यान दिया जाना चाहिए कि अगले कुछ महीने में लोकसभा का चुनाव है. उधर राहुल की यात्रा उत्तर भारत की ओर बढ़ रही है जहां से बड़ी संख्या में जवान सेना में करियर बनाने का ख्वाब देखते हैं. कांग्रेस की कोशिश इस मुद्दे के आसरे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों के नौजवानों को लुभाना होगा, पार्टी की पूरी मंशा होगी कि ये चुनावी मुद्दा बन जाए.

अग्निपथ स्कीम क्या है, क्यों रही विवादों में?
जैसा हमने शुरू में बताया अग्निपथ योजना आर्म्ड फोर्सेज यानी सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए लाई गई स्कीम थी. इसके तहत चार बरस पक्की नौकरी की व्यवस्था थी और फिर उसके बाद चुने गए तीन चौथाई जवानों को रिटायर कर दिया जाना था. दिलचस्प बात ये थी कि रिटायर होने वालों को पेंशन के बजाए लगभग 12 लाख रूपये एकमुश्त देने का प्रावधान किया गया. नौजवानों को इस स्कीम की कई बातें रास नहीं आईं.

एक तो चार साल की नौकरी, बगैर पेंशन के रिटायरमेंट और दूसरा अधिकतम 21 साल ही के उम्र तक के लड़के-लड़कियों ही के आवेदन करने की सीमा. हालांकि सरकार ने बाद में भारी विरोध के बाद साल 2022 में आवेदन करने वाले नौजवानों के लिए ऊपरी उम्र में 2 बरस की छूट दी. उसके बाद भर्तियां शुरू हो गईं.विरोध प्रदर्शन एक वक्त के बाद मोटे तौर पर शांत भी हो गया. सरकार ने भी पैरामिलिट्री सेवाओं में अग्निवीर कहे जा रहे, अग्निपथ से रिटायर होने वाले जवानों के लिए 10 फीसदी सीटें आरक्षित कर दी पर विवाद कहीं न कहीं बना ही रहा. हालांकि मोदी सरकार की ओर से कांग्रेस के इन आरोपों पर कुछ आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.

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