नई दिल्ली (New Delhi)। राहुल गांधी के मामले (Rahul Gandhi case) के जरिए ओबीसी मुद्दे (OBC issue) पर कांग्रेस (Congress) को घेरने की कोशिशें जारी हैं। भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) लगातार कांग्रेस नेता पर ओबीसी का अपमान (Insult of OBC) करने के आरोप लगा रहे हैं। अब अगर इतिहास के पन्नों को उठाकर देखें, तो यह सियासी मार कांग्रेस को बहुत भारी पड़ सकती है। कहा जाता है कि आजादी के बाद से ही ओबीसी के मामले में कांग्रेस पिछड़ती नजर आई है।
ऐसे हुई अनदेखी
आजादी के बाद के सालों में पिछड़ा वर्ग की तरफ से भी कोटा की मांग की गई। साल 1953 में जवाहरलाल नेहरू की अगुवाई वाली सरकार ने काक कालेकर के नेतृत्व में पहली बार ओबीसी आयोग का गठन किया। हालांकि, 1955 में दाखिल की गई रिपोर्ट धूल की फांकती रही। इसके बाद हिंदी पट्टी में ओबीसी ने राम मनोहर लोहिया का रुख किया और उनके निधन के बाद चरण सिंह बड़े नेता के तौर पर उभरे।
साल 1977 में एनडी तिवारी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने पहली बार ओबीसी के लिए सरकारी नौकरियों में 15 फीसदी आरक्षण का ऐलान किया। हालांकि, एक सप्ताह में ही मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार ने तिवारी सरकार को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद जनता पार्टी के राम नरेश यादव ने उत्तर प्रदेश में आरक्षण लागू किया और इसका श्रेय लिया।
नया झटका
बात साल 1990 की है। कांग्रेस को तब एक और बड़ा झटका लगा जब बागी नेता वीपी सिंह ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का ऐलान कर दिया। खास बात है कि मोरारजी देसाई ने साल 1978 में मंडल आयोग का गठन किया था, जिसने 1980 में रिपोर्ट सौंपी थी। लेकिन वह 14 सालों तक अनदेखी में रही। उस दौरान अधिकांश समय केंद्र में कांग्रेस की सत्ता रही।
बाद में सियासी तस्वीर बदली और यूपी में मुलायम सिंह यादव, बिहार में लालू प्रसाद यादव और मध्य प्रदेश में शरद यादव ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया।
BJP ने बदला खेल
इधर, एक ओर जहां ओबीसी के मामले में कांग्रेस जूझती रही। वहीं, भाजपा ने ओबीसी नेताओं के सहारे सियासी तस्वीर बदल दी। कहा जाता है कि भाजपा ओबीसी नेताओं को आगे बढ़ाने के मामले में काफी लचीली थी। उदाहरण के तौर पर लोध राजपूत कल्याण सिंह को लिया जा सकता है, जिन्हें मुलायम सिंह का सामना करने के लिए मैदान में उतारा गया।
वहीं, जब कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे बड़े ओबीसी नेताओं ने बगावत की, तो भाजपा ने समुदायों को सियासी तौर पर जगह देने के लिए नेतृत्व में बदलाव कर दिए।
कल्याण के उत्तराधिकारी कहे जाने वाले राम प्रकाश गुप्ता ने यूपी में जाट समुदाय को ओबीसी का दर्जा दिया। वहीं, मुलायम और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती को कमजोर करने के लिए तत्कालीन राजनाथ सिंह सरकार आरक्षण में आरक्षण का उपाय लाई।
ताजा मामला
हाल ही में सूरत की एक कोर्ट ने राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि मामले में दोषी पाया है। यह मामला साल 2019 से जुड़ा हुआ है। आरोप थे कि उन्होंने कर्नाटक में एक रैली के दौरान ‘मोदी सरनेम’ का जिक्र कर विवादित टिप्पणी की थी। कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई। अब भाजपा इसे ओबीसी समुदाय के अपमान के तौर पर दिखा रही है।
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