इंदौर न्यूज़ (Indore News)

इंदौर में 100 टन तक पहुंची ऑक्सीजन की खपत, आज भी रहेगी किल्लत

अफसरों को सौंपा आपूर्ति का जिम्मा, 180 टन उपलब्धता का मुख्यमंत्री ने भी किया दावा
इंदौर। बेड (Beds), आक्सीजन और इंजेक्शन, इन तीन समस्याओं से जहां कोरोना मरीज (corona patients) और उनके परिजन जूझ रहे हैं, वहीं पूरी प्रशासनिक मशीनरी भी हलाकात हैं। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि 180 मैट्रिक टन ऑक्सीजन (Oxygen) की आपूर्ति प्रदेश के लिए कराई गई, जबकि इंदौर (Indore) में ही खपत 100 टन तक पहुंच गई है और आज भी किल्लत रहेगी। दो दिनों से जाम नगर, भिलाई और पीथमपुर से प्राप्त ऑक्सीजन (Oxygen) की सप्लाय कर काम चलाया, लेकिन किल्लत बरकरार है। महाराष्ट्र से आपूर्ति रोकने के कारण संकट बढ़ गया। हालांकि राज्य सरकार से चर्चा की जा रही है। भिलाई स्टील प्लांट से भी ऑक्सीजन बुलवाई गई, वहीं केन्द्रीय मंत्रियों से भी चर्चा की जा रही है। पिछले दो-तीन दिनों में ही 3 से 4 गुना तक इंदौर सहित प्रदेश के प्रमुख शहरों में मरीजों की संख्या बढऩे के चलते ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है। इंदौर में तो बेड ना मिलने पर एम्बुलेंस में ही मरीजों को ऑक्सीजन (Oxygen) दी जा रही है और कुछ मरीजों की मौत भी परिजनों के सामने ही तड़प-तड़पकर हो गई।


इंदौर (Indore) के निजी, सरकारी, सभी अस्पतालों में कोरोना मरीजों से बेड भर गए हैं, क्योंकि घोषित तौर पर ही 7425 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि अघोषित रूप से इससे दुगने मरीज हैं, जिनमें से 70 फीसदी से ज्यादा तो होम आइसोलेशन में और बाकी अस्पतालों में भर्ती हैं। सुपर स्पेएिशलिटी से लेकर सरकारी अस्पतालों में भी बेड भर गए। खासकर आईसीयू बेड की कमी हो गई है। वहीं ऑक्सीजन (Oxygen)  सप्लाय लगातार बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं और ऑक्सीजन की लीकेज भी रोकी जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने मीडिया से चर्चा में दावा किया कि पहले 60 टन ऑक्सीजन ही मिल रही थी, जिसे अब बढ़ाकर 180 टन तक पहुंचा दिया है। वहीं एक लाख इंजेक्शन के डोज भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इंदौर में ऑक्सीजन सप्लाय की व्यवस्था सुचारू रखने के लिए पिछले तीन-चार दिनों से कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) से लेकर उनकी पूरी टीम रात-दिन भिड़ी है। स्थिति यह है कि पीथमपुर के प्लांटों में खड़े होकर अफसर सिलेंडर भरवा-भरवाकर इंदौर भिजवा रहे हैं। अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर के मुताबिक 100 टन तक ऑक्सीजन की खपत पहुंच गई है। अभी दो दिन जाम नगर, भिलाई से जो टैंकर आए थे, उससे सप्लाय हो गई। दूसरी तरफ ऑक्सीजन (Oxygen)  ऑडिट की प्रक्रिया भी शुरू कराई गई है और दुरुपयोग रोकने के निर्देश भी दिए गए। संभागायुक्त डॉ. शर्मा (Dr. Pawan Kumar Sharma)  ने निर्देश दिये है कि संभाग के समस्त जिलों के प्रत्येक हॉस्पिटल के ऑक्सीजन पाईप लाईन का कहीं कोई लीकेज तो नहीं हो रहा है या क्षतिग्रस्त तो नहीं हो रही है, इसके संबंध में लोक निर्माण विभाग, विद्युत एवं यांत्रिकी विभाग के माध्यम से 24 घंटे के अंदर जांच/निरीक्षण सुनिश्चित कराया जाये। निरीक्षण उपरांत नो लीकेज/नो वेस्टेज संबंधी प्रमाण-पत्र सभी चिकित्सालयों से प्राप्त किया जाये। प्रति 3 दिवस में सतत् रूप से ऑक्सीजन लाईन का भौतिक सत्यापन किया जाकर जिलेवार ओके रिपोर्ट संभागायुक्त कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाये। इसी तरह हॉस्पिटल में जिन मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही है, वे शौच आदि के लिये जब जाते है अथवा मोबाइल पर बात करते हैं तब भी ऑक्सीजन की सतत् सप्लाई जारी रहती है, जिससे ऑक्सीजन वेस्टेज होती है। इसके अलावा कई बार डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन से अधिक ऑक्सीजन मरीज को दी जा रही होती है। अत: प्रत्येक फ्लोर/वार्ड या कोई भी मैनेजेबल छोटी यूनिट पर एक वार्ड बॉय/कर्मचारी/पैरामेडिकल स्टॉफ की ड्यूटी ऑक्सीजन प्रभारी के रूप में लगाई जाये। ऑक्सीजन प्रभारी प्रत्येक 2 घंटे में अपनी यूनिट का राउण्ड लेगा और ऑक्सीजन की वेस्टेज ना हो इसकी सतत निगरानी करना सुनिश्चित करेगा। हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा प्रतिदिन मरीजों को दी जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा का रिकॉर्ड मेंटेन किया जाये। इस हेतु मरीजों की केस फाईल में ऑक्सीजन शीट भी रखी जाये। जिससे मरीज पर कुल कितनी ऑक्सीजन की मात्रा लगी है इसका हिसाब भी मेंटेन रखा जा सके। अस्पतालों के प्रभारी/सिविल सर्जन/डीन प्रतिदिन 12 बजे पिछले 24 घंटे की ऑक्सीजन व्यय का आंकलन करना सुनिश्चित करें, जिससे अपव्यय न हो। संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने सभी जिला कलेक्टर्स को उपरोक्त व्यवस्थाएँ सभी जिलों में स्थित समस्त प्रायवेट अस्पतालों में भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं। संभाग के सभी जिलों के अस्पतालों में कोरोना उपचार में उपयोग हो रहे ऑक्सीजन (Oxygen)  का उचित सप्लाय और प्रबंधन किया जाना आवश्यक है, जिसके चलते संभागायुक्त ने सभी जिलों के कलेक्टर, सीएमएचओ, सिविल सर्जन और एमजीएम मेडिकल कालेज इंदौर के अलावा मेडिकल कालेज खंडवा के डीन को अस्पतालों में ऑक्सीजन का अपव्यय रोकने के निर्देश दिए हैं। फिलहाल तो तमाम प्रयासों के बावजूद ऑक्सीजन (Oxygen)  की किल्लत कायम है। आज-कल में महाराष्ट्र या गुजरात से टैंकर नहीं आए तो परेशानी बढ़ सकती है, क्योंकि स्थानीय स्तर पर डिमांड के अनुरूप ऑक्सीजन (Oxygen) तैयार नहीं हो पा रही है।

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