इंदौर, कमलेश्वर सिंह सिसोदिया। किसानों के लिए प्राकृतिक आपदा अलग-अलग स्वरूप में आती है। इस बार खरीफ सीजन की बोवनी 15 जून से शुरू हो गई थी। बारिश अलग-अलग हिस्सों में कम ज्यादा होने से तकरीबन ढाई सप्ताह बोवनी का दौर चला। कहीं बीज अंकुरण कमजोर तो कहीं अंकुरण के बाद सोयाबीन के पौधे खराब हो रहे हैं। किसानों को दो और कहीं तीसरी बार भी बोवनी करना पड़ रही है, जिससे नुकसानी के चलते फसल बीमा की मांग की जा रही है।
इंदौर जिले में तकरीबन 2 लाख 40 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि पर खरीफ की फसल बोई जाती है। इसमें सर्वाधिक 2 लाख हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि पर सोयाबीन की फसल किसान लगाते हैं। इस बार सोयाबीन लगाने वाले किसान ज्यादा परेशान नजर आ रहे हैं। जून के तीसरे सप्ताह में लगातार बारिश के दौरान ज्यादातर किसानों ने बोवनी की शुरुआत की थी। देपालपुर, सांवेर, महू, बेटमा में तकरीबन एक सप्ताह पहले खरीफ की बोवनी तकरीबन पूरी हो चुकी थी। 22 से 25 जून के बीच सिंदोडा, सिंदोड़ी, नारलाई, धनखेड़ी, टोड़ी, ब्राह्मण पिपलिया, सोलसिंदा, जैतपुरा, मुरादपुरा, सगोड़, बैंगनदा, खड़ी, बरोदा , बलौदा कांकरिया आदि गांवों के कई ग्रामीणों को दो बार और कुछ जगह तीन बार मर्तबा भी बोवनी करना पड़ी, जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है। बेटमा, पीथमपुर, सागौर, बिचौली, सुलावड क्षेत्र के किसानों की भी सोयाबीन बोवनी खराब हुई है।
सर्वे और फसल बीमा की मांग
धनखेड़ी के किसान सुरेश सिंह ने बताया कि 30 बीघा जमीन में दोबारा सोयाबीन की बोवनी की है। नुकसान हुआ है। सिंदोड़ा के मनोहर सिंह ने बताया कि 40 बीघा जमीन में तीन बार बोवनी कर चुका हूं। अंकुरण की दिक्कत रही है। इस बार सोयाबीन से आमदनी क्या होगी, यह पता नहीं पर साल तो खराब ही मानो। बीमा मिलना चाहिए। लसूडिय़ा के किसान दिलीप सिंह पवार ने बताया कि कृषि विभाग और बड़े अधिकारियों को सर्वे करना चाहिए। किसानों को फसल बीमा का मुआवजा मिलना चाहिए। सुलावड़ के किसान मलखान सिंह मोरी का कहना है कि किसानों पर गंभीरता से ध्यान देना अत्यंत जरूरी है।
5000 हजार बीघा खर्च
सोयाबीन की बोवनी लगातार महंगी और खर्चीली होती जा रही है। किसानों का कहना है कि सोयाबीन बीज के 6 से 7 हजार रुपए क्विंटल के भाव हैं, वहीं सर्टिफाई बीज और भी महंगा है। 30 से 40 किलो प्रति बीघा सोयाबीन बीज बुवाई के लिए लगता है। इसके साथ टै्रक्टर किराए 500 रुपए प्रति बीघा, साथ ही बीज उपचार करने के लिए दवाई और मजदूरी व अन्य खर्च तकरीबन 5000 रु प्रति बीघा की सोयाबीन की बोवनी का खर्च आता है, वहीं दो बार में 10 हजार और तीन बार में 15 हजार प्रति बीघा खर्च हो गया है। किसान बोल रहे हैं कि इतना तो उत्पादन पर लाभ ही नहीं होगा।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved