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‘झांकी’ से उपजा विवाद

– डॉ. रमेश ठाकुर

अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के मध्य विवाद कभी सुलझते नहीं। एक सुलझता है, तो दूसरा खड़ा हो जाता है। विवाद भी ऐसे, जिन्हें जानकर या सुनकर कोई भी इंसान थोड़ी देर के लिए अचरज में पड़ जाए। ऐसा ही एक नया विवाद इस वक्त दिल्ली में खड़ा हो चुका है। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ‘झांकी’ को लेकर तनातनी हो गयी है। विवाद दरअसल ये है कि आगामी गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी को इंडिया गेट पर आयोजित होने वाली राष्ट्रीय परेड में दिल्ली की ‘झांकी’ को अनुमति नहीं मिली है। परेड समिति ने दिल्ली की झांकी को रिजेक्ट कर दिया है। कारण बताया है कि परेड के माध्यम से केजरीवाल राजनीति करना चाहते हैं। अपने कामों का प्रचार चाहते हैं। वैसे, केंद्र और केजरीवाल के बीच कई मसलों पर विवाद हैं लेकिन उन्हें छोड़ कर सियासी खींचतान ‘झांकियों’ तक पहुंच गई है।


गणतंत्र दिवस परेड में किस प्रदेश की झांकी को शामिल करना और किसे नहीं, ये निर्णय हो चुका है। आम आदमी पार्टी शासित प्रदेश इसमें शामिल नहीं हैं। यह सूचना जबसे केजरीवाल को मिली है, वह तमतमाए हुए हैं। वैसे, उनका नाराज होना स्वाभाविक भी है। आखिर उनकी झांकी को ऐन वक्त पर रिजेक्ट जो कर दिया। केजरीवाल की तरफ से कहा जा रहा है कि झांकी की तैयारी बीते सितंबर माह से चल रही थी। इस बार दिल्ली सरकार की योजना थी कि शिक्षा और स्वास्थ्य के मॉडल को झांकी के जरिए प्रस्तुत कर न सिर्फ भारत बल्कि समूची दुनिया को दिखाएंगे। फ्रांस के राष्ट्रपति समारोह के मेहमान हैं, वो भी देखेंगे। लेकिन केंद्र ने केजरीवाल की मंशा पर पानी फेर दिया है।

बहरहाल, झांकियों को शामिल करने की एक प्रक्रिया होती है। राज्यों की तरफ से कुछ माह पहले प्रस्ताव केंद्र को भेजे जाते हैं जिसमें दिल्ली सरकार को थोड़ी देरी हुई। यही कारण है कि रक्षा मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी ने इस साल गणतंत्र दिवस परेड-2024 के लिए दिल्ली की झांकी को शामिल नहीं किया। यह लगातार तीसरा गणतंत्र दिवस होगा, जब दिल्ली की झांकी देश के मुख्य समारोह का हिस्सा नहीं होगी। इससे पहले वर्ष-2021 में दिल्ली की झांकी गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुई थी। तब, चांदनी चौक में किए गए री-डवलपमेंट की थीम पर आधारित झांकी निकाली गई थी। लेकिन इस बार केजरीवाल अपने राजनीतिक मॉडल की प्रस्तुति चाहते थे। विवाद यहीं से आरंभ हुआ। समिति ने उनके समक्ष प्रस्ताव रखा था कि दिल्ली अपनी संस्कृति की छवि झांकी के माध्यम से पेश कर सकती है, पर केजरीवाल अपनी जिद पर अड़े रहे। तब, हार कर समिति ने निर्णय लिया। लेकिन ये विवाद अब राजनीतिक मुद्दा बन गया है जो शायद जल्द शांत न हो।

वहीं, दिल्ली सरकार मानती है कि अमृतकाल का दौर चल रहा है इसलिए उन्होंने 26 जनवरी पर ‘विकसित भारत’ की थीम पर आधारित झांकी का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था, जिसमें दिल्ली के विकास की नई तस्वीर पेश होती। झांकी में दिल्ली के नए सरकारी स्कूलों, अस्पतालों और मुहल्ला क्लीनिक मॉडल को दर्शाना था, जिसने राजधानी को एक नई पहचान दिलाई है। पर, केंद्र सरकार की स्क्रीनिंग कमेटी को यह थीम बिल्कुल नहीं जंची और रिजेक्ट कर दिया। केजरीवाल इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घसीट रहे हैं। उनका आरोप है कि ये सब उन्हीं के इशारे पर हुआ। ऐसा प्रतीत होता है कि 2024 की सियासी लड़ाई में अभी कुछ माह शेष हैं, लेकिन जोर-आजमाइश अभी से शुरू हो गई।

झांकी से उपजा ये सियासी झंझट कुछ दिनों तक शोर मचाएगा। मुख्यमंत्री केजरीवाल झांकी के जरिए केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। दिल्ली के अलावा केंद्र सरकार ने पंजाब की भी झांकी को परेड में शामिल नहीं करने का निर्णय किया है, जिससे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवत मान भी नाराज हैं। उन्होंने इस निर्णय को पंजाबियों के अपमान से जोड़ दिया है। पंजाब की झांकी में कृषि कानून आंदोलन के समय जान गंवाने वाले किसानों को दिखाए जाने की तैयारी थी। इसके अलावा पंजाबी खेती, खानपान को प्रदर्शित करना था, लेकिन उन्हें भी अनुमति नहीं मिली। इसको लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री खासे नाराज हैं। आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को आगामी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उठाएगी।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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