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तमिलनाडु में CBSE की कक्षा छठी पुस्तक को लेकर विवाद, क्‍या पूरा मामला जानिए

तमिलनाडु। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE Board ) स्कूल की एक पाठ्यपुस्तक ने विवाद पैदा कर दिया है, जिसमें कथित रूप से किताब पर मनु धर्म को प्रमोट करने का आरोप लगा है!
दरअसल, तमिलनाडु में CBSE बोर्ड की छठी क्लास की किताब विवादों में फंस गई है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के गठबंधन में शामिल पार्टी विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK) के अध्यक्ष थोल थिरुमावलवन ने मनु धर्म की मौजूदगी को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में छठी क्लास की CBSE Board की किताब में वर्ण व्यवस्था को प्रदर्शित करने वाले चार्ट को दिखाया. उन्होंने सीबीएसई की किताब में दिखाए गए चार्ट को लेकर आलोचना भी की. साथ ही उन्होंने इस छठी क्लास की किताब में मौजूद चार्ट को ट्वीट किया।



वहीं वीसीके नेता थिरुमावलवन ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं इसे उन लोगों का ध्यान इस ओर मोड़ना चाहता हूं, जो शायद सोच रहे होंगे कि मनु धर्म या वर्णाश्रम धर्म कहां हैं।’ उन्होंने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि वह स्कूली बच्चों को वर्णाश्रम धर्म सिखा रही है और ऐसा सीबीएसई की किताब में दिखाया गया है. इसके बाद, वीसीके नेता ने किताब के हवाले से कहा कि हिंदू लोग केवल चार अलग-अलग उपसमूहों में हैं। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी और एसटी) समूहों को इन चार कैटेगरी में शामिल नहीं किया गया है।

इस पूरे विवाद की शुरुआत वर्तमान में चल रहे ‘मनु धर्म’ विवाद से उपजी है। इसकी शुरुआत कुछ यूं हुई कि एमके स्टालिन के नेतृत्व वाले डीएमके सरकार के वरिष्ठ नेता ए राजा ने कहा कि मनु शास्त्र शुद्र लोगों की ‘वेश्या के बच्चों’ के रूप में व्याख्या करता है। राजा ने कहा, ‘आप लोग तब तक शुद्र हैं, जब तक आप हिंदू हैं। आप जब तक शुद्र हैं, तब तक आप वेश्या के बच्चे हैं। जब तक आप हिंदू हैं, तब तक आप दलित हैं और जब तक आप हिंदू हैं, तब तक आप अछूत हैं।’ ए राजा के इस बयान का वीडियो वायरल हो गया और जिसके बाद उनकी आलोचना की गई।

वहीं, डीएमके नेता के इस बयान के बाद बीजेपी ने ए राजा के बयान पर खासा नाराजगी जताई। पार्टी ने आरोप लगाया कि वह कुछ लोगों के समूह को अपने करीब लाने के लिए तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं। बीजेपी ने दावा किया कि मनु धर्म का पालन नहीं किया जाता है। ए राजा ने इसके बारे में बेवजह बात करके हिंदुओं को नुकसान पहुंचाया है। कुछ आलोचकों ने कहा कि जाति अब मायने नहीं रखती है और वर्ण व्यवस्था अब प्रचलित नहीं है। वहीं, बीजेपी और डीएमके के बीच चल रही तकरार को बढ़ाने का काम अब सीबीएसई की किताब ने कर दिया है।

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