नई दिल्ली। भारत (India) में आगामी 10 जनवरी से स्वास्थ्य व अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों, अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित 60 साल से ऊपर के लोगों को एहतियात के तौर पर कोविड (Corona virus) टीकों की खुराक (Precaution Dose) दिए जाने की शुरुआत की जाएगी। ऐसे समय में जब दुनिया कोविड महामारी (covid pandemic) की चौथी लहर को देख रही है, भारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variants) के मामले भी राज्यों द्वारा प्रतिबंधात्मक उपायों को लागू करने के साथ बढ़ रहे हैं।
सार्स-कोव-2 के उभरते हुए वेरिएंट के खिलाफ प्रतिरक्षा (Immunity) को मजबूत करने के लिए बूस्टर खुराक का विचार दुनिया में पहले ही पेश किया जा चुका है और कई देशों में इसका इस्तेमाल भी हो रहा है। हालांकि भारत इसे बूस्टर डोज नहीं बता रहा है। 25 दिसंबर को जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी घोषणा की, उन्होंने इसे ‘एहतियाती खुराक’ (प्रीकॉशन डोज) बताया।
‘एहतियाती खुराक’ के बारे में हम क्या जानते हैं:
1. वरिष्ठ नागरिकों को एहतियाती खुराक लेने के लिए अन्य गंभीर बीमारियों वाले सर्टिफिकेट की आवश्यकता होगी।
2. सरकार द्वारा अन्य गंभीर बीमारियों की उसी सूची का उपयोग करने की संभावना है जिसका पालन इस वर्ष जनवरी में भारत में टीकाकरण अभियान शुरू होने पर किया गया था।
3. पीएम मोदी ने शनिवार को अपने भाषण में कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को उनके डॉक्टरों से परामर्श करने के बाद एहतियाती खुराक दी जाएगी।
4. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दूसरी डोज और इस तीसरी ऐहतियाती डोज के बीच 9 से 12 महीने का अंतराल होने की संभावना है।
5. इस एहतियाती खुराक के लिए किस टीके का इस्तेमाल होगा? रिपोर्टों में हासिल जानकारी के हवाले से कहा गया है कि विशेषज्ञों के परामर्श से अगले कुछ दिनों में वैक्सीन को लेकर अंतिम रूप दिया जाएगा. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की आम राय है कि तीसरी खुराक या एहतियाती खुराक पहली दो खुराक से अलग होनी चाहिए. लेकिन सरकार ने अभी तक मिक्स एंड मैच पॉलिसी की घोषणा नहीं की है।
6. आरएस शर्मा ने कहा कि लाभार्थियों को बूस्टर डोज सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि अगर सरकार तीसरी खुराक के लिए मिक्स एंड मैच पॉलिसी अपनाती है, तो सरकार कोवाक्सिन की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए क्योंकि अधिकांश लोगों ने पहली दो खुराक के रूप में कोविशील्ड लिया है।
क्या है तीसरी खुराक या बूस्टर खुराक का मकसद
तीसरी खुराक का उद्देश्य प्रतिरक्षा (Immunity) को बढ़ावा देना है, जिसके बारे में संभावना है कि वह टीकाकरण या पिछले संक्रमण के 7-8 महीने बाद कम हो जाती है. कुछ वैज्ञानिकों ने SARS-CoV-2 के उभरते हुए वेरिएंट्स के खिलाफ साल में एक बार बूस्टर खुराक की भी वकालत की है. वैश्विक टीकाकरण की स्थिति को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) बूस्टर खुराक के बारे में बहुत उत्साहित नहीं है, क्योंकि कई देश अब भी टीकाकरण के 40% लक्ष्य तक पहुंचने से दूर हैं।