नई दिल्ली। भारत-चीन के बीच जारी सीमा विवाद के बीच दोनों देशों ने बातचीत के रास्ते खुले रखे हैं। इसी के तहत 14 अगस्त को भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत होगी। दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की यह 19वें राउंड की बैठक है। इन बैठकों के जरिए दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनी हैं, वहीं कुछ मुद्दे अभी भी तनाव की वजह बने हुए हैं।
18 दौर की हो चुकी है बातचीत
भारत और चीन के बीच 18वें दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत अप्रैल में पूर्वी लद्दाख में हुई थी। उस बैठक में भारत का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया था। इसी रैंक के चीनी अधिकारी ने चीन का पक्ष रखा था। बातचीत के चलते कई इलाकों में सैनिकों की तैनाती घटी है और मिलिट्री बफर जोन बने हैं। साल 2020 में गलवान में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर मौजूद हैं। चीन लगातार अपनी तरफ सैन्य ढांचे का विकास कर रहा है, वहीं भारत की तरफ भी इसमें तेजी आई है।
कई इलाकों में तनाव बरकरार
पेंटागन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पैंगोंग झील के पास चीन ने डिविजन स्तर के मुख्यालय का निर्माण किया है। यह मुख्यालय गोगरा हॉट स्प्रिंग्स के दक्षिण में स्थित है। गलवान घाटी में अपने इलाके में भी चीन ने बैरकों का निर्माण कर लिया है। भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी सीमा है। यह सीमा तीन सेक्टरों में बंटी हुई हैं। जिनमें पूर्वी सेक्टर, पश्चिमी सेक्टर और मध्य सेक्टर शामिल हैं। भारत के पांच राज्य जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश, चीन के साथ सीमा साझा करते हैं। पश्चिमी सेक्टर में जम्मू कश्मीर, शिनजियांग और अक्साई चिन की सीमा वाला इलाका विवादित है।