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Covid-19: बढ़ते मामलों के बीच केन्द्र की राज्यों को हिदायत, सार्वजनिक आयोजनों को लेकर चेताया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central government) ने राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों (States and Union Territories) से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सार्वजनिक आयोजनों में हिस्सा लेने और तीर्थयात्रा पर जाने वाले लोगों में कोविड-19 संक्रमण (covid-19 infection) से मिलते-जुलते लक्षण न मौजूद हों तथा उन्होंने संभवत: पूर्ण टीकाकरण (vaccination) करवा रखा हो. राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को मंगलवार को भेजे गए पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि विभिन्न त्योहारों और यात्राओं के मद्देनजर आने वाले महीनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में सार्वजनिक सभाएं होना संभव है तथा ऐसे आयोजन कोविड-19 सहित अन्य संक्रामक रोगों के प्रसार को बढ़ावा दे सकते हैं।


भारत में साल की शुरुआत के मुकाबले कोविड-19 के नए मामलों में कमी आई है, लेकिन कुछ राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में अभी संक्रमितों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है. भूषण ने कहा, “ऐसे कई आयोजनों/यात्राओं के दौरान लाखों लोग स्वयंसेवकों और समुदाय-आधारित सामाजिक/धार्मिक संगठनों द्वारा निर्धारित पड़ाव बिंदुओं पर ठहरते हुए सैकड़ों किलोमीटर लंबी अंतर-राज्यीय यात्रा करते हैं। ऐसी सभाएं कोविड-19 जैसे संक्रामक रोगों के प्रसार को बढ़ावा दे सकती हैं.”

उन्होंने कहा, “जिन राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में इस तरह के सामूहिक कार्यक्रमों/यात्राओं के आयोजन का प्रस्ताव है, उन्हें व्यापक रूप से प्रचारित करना चाहिए कि इस तरह की सभाओं/कार्यक्रमों में हिस्सा लेने की योजना बनाने रहे लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण से मिलते-जुलते लक्षण न हो हों और उन्होंने कोविड-19 रोधी टीके की दोनों खुराक लगवा रखी हो.”

कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार के पालन पर जोर
भूषण ने कहा, “यदि आवश्यक हो तो प्रशासन द्वारा ऐसे आयोजनों में शामिल होने की योजना बना रहे उन लोगों को प्राथमिक या एहतियाती खुराक देने के वास्ते कम से कम एक पखवाड़े पहले विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जा सकता है, जो इसके लिए पात्र हैं.” अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू हो रही है और रथ यात्रा एक जुलाई को होनी है. भूषण ने कहा कि यह जरूरी है कि केंद्र और राज्य सरकारों के समन्वित प्रयासों से अब तक हासिल की गई प्रगति को नुकसान न पहुंचे और कोविड-19 के प्रसार का जोखिम घटाने के लिए समय पर सभी आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय अमल में लाए जाएं. उन्होंने जोर दिया कि इसके मद्देनजर परीक्षण, निगरानी, उपचार, टीकाकरण और कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार के अनुपालन से जुड़ी पांच सूत्री रणनीति पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

एहतियाती उपायों का प्रचार और टेस्टिंग की व्यवस्था पर ध्यान
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि अलग-अलग स्थानों पर एहतियाती उपायों का प्रचार करने और परीक्षण की व्यवस्था उपलब्ध कराने की भी जरूरत है. उन्होंने रेखांकित किया कि यात्रा मार्ग और पड़ाव बिंदुओं पर जनसभा, प्रार्थना व बैठने-ठहरने की व्यवस्था बाहरी या बंद हवादार प्रतिष्ठानों में की जानी चाहिए, जहां थर्मल स्क्रीनिंग और हाथ धोने की व्यवस्था मौजूद हो. भूषण ने पत्र में यह भी कहा है कि ऐसे आयोजनों के आयोजकों और राज्यों व जिला प्रशासन द्वारा इनमें तैनात किए गए स्वास्थ्य कर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों एवं स्वयंसेवकों में कोविड-19 से जुड़े लक्षण नहीं होने चाहिए तथा उन्हें संभवत: टीके की दोनों खुराक लगी होनी चाहिए.

‘बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों वाले अधिक सावधानी बरतें’
पत्र में स्पष्ट किया गया है कि इस तरह के आयोजनों में शामिल होने की योजना बना रहे बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों (मधुमेह, उच्च रक्तचाप, फेफड़े/यकृत/गुर्दे की पुरानी बीमारी आदि) से जूझ रहे लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. पत्र के मुताबिक, ऐसे लोगों का उनका इलाज कर रहे डॉक्टर से परामर्श लेना और आयोजन की अवधि में स्वास्थ्य की बारीकी से निगरानी करते हुए सभी दवाओं का सेवन करते रहना जरूरी है. इसमें कहा गया है कि धार्मिक यात्रा जैसे आयोजनों में, जहां रास्ते में जगह-जगह मंडली जमने की संभावना होती है, वहां संबंधित राज्य सरकारों को उन प्रमुख मार्गों की पहचान करनी चाहिए, जिसे लोगों द्वारा अपनाए जाने की गुंजाइश अधिक रहती है और इन मार्गों पर आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए.

‘अस्पतालों में भर्ती मरीजों की दर पर कड़ी नजर रखें’
पत्र में राज्यों और जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों से पृथक और सामूहिक स्तर पर सामने आ रहे कोविड-19 के नए मामलों पर कड़ी नजर रखने और उसके हिसाब से जरूरी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय करने के लिए कहा गया है. पत्र के अनुसार, “राज्य सरकार अस्पतालों में भर्ती मरीजों की दर पर कड़ी नजर रखते हुए वहां बिस्तर, मानव संसाधन, दवाओं, ऑक्सीजन, उपकरण आदि के साथ-साथ एम्बुलेंस और रेफरल सिस्टम सहित अन्य सुविधाओं की उपलब्धता की समीक्षा करेगी तथा उसमें वृद्धि लाएगी.” पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकारों को कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार (पर्याप्त शारीरिक दूरी, मास्क का उपयोग, हाथों की सफाई, आदि) के अनुपालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पड़ाव बिंदुओं और गंतव्य शहर/जिले में ऐसे आयोजनों में हिस्सा लेने वाले स्वयंसेवी संगठनों और समुदाय आधारित संगठनों की पहचान कर उनसे समन्वय करना चाहिए.

इसमें कहा गया है कि संबंधित जिला प्राधिकरणों के सहयोग से आयोजक एजेंसियां ​​मुख्य गंतव्य के साथ-साथ पूरे मार्ग में प्रतिभागियों के रुकने वाले स्थानों पर उन सतहों (रेलिंग, बैरिकेड, सीट, बेंच, वॉशरूम आदि) की नियमित सफाई और सैनेटाइजेशन की व्यवस्था करेंगी, जिन्हें बार-बार छूए जाता है. पत्र के मुताबिक, संबंधित जिला प्रशासन के साथ-साथ कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा मुख्य गंतव्य पर प्रमुख स्थानों के साथ-साथ पूरे मार्ग में ठहराव वाले स्थानों पर उपयुक्त आईईसी सामग्री के माध्यम से सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करना जरूरी होगा.

‘प्रमुख स्थानों पर हेल्पलाइन नंबर दिखाएं जाएं’
पत्र में कहा गया है कि प्रमुख स्थानों पर हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित करने के लिए भी इसी तरह के प्रावधान किए जाने चाहिए. पत्र में राज्यों को आयोजन/यात्रा के दौरान रोग निगरानी प्रणाली की समीक्षा करने और उसे मजबूत बनाने का निर्देश दिया गया है. इसमें कहा गया है, “इन महत्वपूर्ण तत्वों और हस्तक्षेपों को जमीनी स्तर तक प्रसारित और कार्यान्वित करने की जरूरत है, ताकि हम कोविड-19 की रोकथाम और प्रबंधन के संबंध की गई प्रगति को बनाए रखने में सक्षम हों.”

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