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बेंगलुरु यूनिवर्सिटी के दलित प्रोफेसरों ने लगाया जातिगत भेदभाव का आरोप, दी इस्तीफे की धमकी

July 06, 2025

बेंगलुरु। बेंगलुरु यूनिवर्सिटी (Bangalore University) में दलित प्रोफेसरों (Dalit professors) ने वाइस-चांसलर को पत्र लिखकर इस्तीफे की धमकी दी है। उनका आरोप है कि नियुक्तियों में जातिगत भेदभाव (Caste Discrimination) हो रहा है और सर्विस से जुड़े लाभों से उन्हें वंचित किया जा रहा है। 2 जुलाई को वाइस-चांसलर प्रोफेसर डॉ. जयकारा शेट्टी (Vice-Chancellor Professor Dr. Jayakara Shetty) को यह चिट्ठी लिखी गई। इसमें 10 प्रोफेसरों ने कहा कि वो सालों से टीचिंग के साथ-साथ प्रशासनिक भूमिकाएं निभा रहे हैं, लेकिन उन्हें साइडलाइन किया जा रहा है। उन्हें सिर्फ सुपरवाइजरी वाले काम दिए जा रहे हैं। उन्होंने इसे दलित प्रोफेसरों के खिलाफ भेदभाव वाली पॉलिसी बताया।


प्रोफेसरों ने पत्र में यह भी कहा कि पहले यूनिवर्सिटी उनके प्रशासनिक काम के लिए अर्न्ड लीव (EL) एनकैशमेंट या कंपनसेशन देती थी, जो अब बिना किसी कारण के बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी शिकायतों को यूनिवर्सिटी की ओर से नजरअंदाज किया जा रहा है। प्रोफेसरों ने कहा कि अगर उनकी मांगें एक हफ्ते के अंदर पूरी नहीं हुईं, तो वो अपने प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे देंगे। चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रो. सोमशेखर सी (डायरेक्टर, आंबेडकर रिसर्च सेंटर), प्रो. विजयकुमार एच दोड्डामणि (डायरेक्टर, बाबू जगजीवन राम रिसर्च सेंटर), प्रो. नागेश पी सी (डायरेक्टर, स्टूडेंट्स वेलफेयर), प्रो. कृष्णमूर्ति जी (स्पेशल ऑफिसर, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति), प्रो. सुदेश वी (कोऑर्डिनेटर, पीएम-उषा) और प्रो. मुरलीधर बी एल (डायरेक्टर, सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन) शामिल हैं।

यूनिवर्सिटी का क्या है पक्ष
प्रोफेसरों का कहना है कि उनका यह कदम सिर्फ व्यक्तिगत शिकायतों के बारे में नहीं है, बल्कि जायज मांगों से वंचित करने के खिलाफ है। एक प्रोफेसर ने कहा, ‘हमें यूनिवर्सिटी ने इन पोस्ट्स का पूरा चार्ज नहीं दिया है और हम ELs के हकदार नहीं हैं। भले ही हम बिना किसी रिवॉर्ड के अपना टाइम दे रहे हैं। यह दलित प्रोफेसरों को साइडलाइन करने की सिस्टमैटिक कोशिश है। बार-बार लिखने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला है।’ वहीं, बेंगलुरु विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया, ‘यूनिवर्सिटी मानती है कि कोऑर्डिनेटर्स, डायरेक्टर्स, स्पेशल ऑफिसर्स, चीफ वार्डन्स और स्टडी सेंटर्स के चेयरपर्सन्स जैसे फैकल्टी मेंबर्स अहम प्रशासनिक भूमिका निभा रहे हैं, जो डिपार्टमेंट चेयरपर्सन्स की जिम्मेदारियों के बराबर हैं। उनकी भूमिकाओं को एसेंशियल सर्विसेज के तौर पर पहचाना जाता है। वो अपने डिपार्टमेंट्स और सेंटर्स के कामकाज के लिए उतने ही जवाबदेह हैं।’

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