इंदौर न्यूज़ (Indore News)

अयोध्यापुरी-पुष्प विहार में होने लगे भूखंडों के सौदे… 5 रजिस्ट्रियां पकड़ाई

 

  • कब्जा मिलते ही बढ़ गए भाव… रहवासी संघ का कहना – जरूरतमंद
  • बेच रहे हैं भूखंड… प्रशासन के भी कान हुए खड़े… शुरू करवाई जांच

इंदौर। कल तक जिन भूखंडों की आधी कीमत भी नहीं थी, कब्जा मिलते ही उनके भाव रोजाना बढऩे लगे। अयोध्यापुरी और पुष्प विहार की लोकेशन बेहतरीन है, जिसके चलते यहां भूखंडों की कीमत वैसे भी अधिक रहती, मगर भूमाफियाओं के चंगुल में फंसी इन कालोनियों की जमीनों पर भूखंडों की कीमत हजार-डेढ़ हजार रुपए स्क्वेयर फीट भी नहीं थी, जो अब बढक़र 4-5 हजार रुपए तक पहुंच गई, जिसके चलते कई सौदे होने लगे। अभी पुष्प विहार में ही बीते दो-तीन दिनों में 5 रजिस्ट्रियां हो गई, जो प्रशासन की पकड़ में भी आ गई है। लिहाजा अब जांच-पड़ताल भी होगी। हालांकि रहवासी संघ का कहना है कि जरूरतमंद अच्छी कीमत मिलने पर अपने कब्जे वाले भूखंड बेचने लगे हैं। फिलहाल तो सारे कागजातों की जांच के बाद ही असल पीडि़तों को ही कब्जे दिलवाए जा रहे हैं। रसीद या अन्य बाद में हुई रजिस्ट्रियों के लोगों को फिलहाल पहले चरण में भूखंडों के कब्जे नहीं दे रहे हैं।



सालों से ये जमीनें विवादित रही। पुष्प विहार कालोनी तो देवी अहिल्या संस्था की है, जिसकी जमीन प्राधिकरण की योजना 171 में शामिल है, लेकिन ये सदस्यों की जमीनें भूमाफियाओं द्वारा बड़े-बड़े टुकड़ों में निजी कम्पनियों के अलावा अन्य जेबी संस्थाओं को बेच डाली, जिन्हें अब धीरे-धीरे कर प्रशासन सरेंडर भी करवा रहा है। वहीं दूसरी तरफ अयोध्यापुरी में जहां भू-उपयोग का झमेला रहा, वहीं सदस्यों की रजिस्ट्री किए हुए भूखंडों की जमीनें भी बिक गई, जिनमें से ज्यादातर अब हालांकि सरेंडर भी हो गई है और आमसभा के जरिए प्रस्ताव पारित कर कोर्ट से भी इन रजिस्ट्रियों को शून्य करवाया जाएगा। इधर अयोध्यापुरी और पुष्प विहार में जो भूखंड देने की प्रक्रिया पिछले एक पखवाड़े से चल रही है और अयोध्यापुरी में तो 80 फीसदी से अधिक भूखंडों पर कब्जे भी हो गए हैं, तो पुष्प विहार में 324 भूखंडों के कब्जे-पत्र सौंप दिए गए, जिनमें से 56 में बाउण्ड्रीवाल सहित अन्य निर्माण भी शुरू हो गए हैं। इसके साथ ही इन भूखंडों की कीमतें भी एकाएक बढ़ गई। कल तक जो 10-20 लाख रुपए में भी भूखंड नहीं बिक रहा था, अब उसकी कीमत सीधे एक करोड़ रुपए तक पहुंच गई है, जिसके चलते खरीद-फरोख्त भी शुरू होने की जानकारी प्रशासन को लगी। कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि हमारे प्रयास हैं कि वास्तविक पीडि़तों को ही कब्जे मिलें। अभी पुष्प विहार में 5 रजिस्ट्रियों की जानकारी मिली है, उसकी जांच अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर को सौंपी गई है। कहीं ऐसा ना हो कि पर्दे के पीछे भूमाफिया से जुड़े लोग फिर से इस तरह के सौदों में सक्रिय हो जाएं। लिहाजा सभी पीडि़तों को भी कहा गया है कि वे कब्जे लेकर बाउणड्रीवाल सहित निर्माण कार्य मौके पर शुरू कर दें। इधर पुष्प विहार रहवासी संघ के एनके मिश्रा का कहना है कि कुछ पीडि़त अपने भूखंड इसलिए बेच रहे हैं क्योंकि उन्हें आर्थिक आवश्यकता है। कोरोना से लेकर अन्य कारणों से कई लोगोंकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई और उन्हें अब भूखंड का कब्जा मिला है तो वे अपनी जरूरत के कारण इन्हें बेचना भी चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का कहना है कि कई सदस्यों के पास चूंकि पहले से ही मकान या भूखंड भी हैं, लिहाजा वे भी मिले इस नए भूखंड को बेचना चाहते हैं। पुष्प विहार में एक हजार से लेकर 1500 और 1800 स्क्वेयर फीट भूखंडों का कब्जा अभी दिया जा रहा है और इन भूखंडों की कीमत एक करोड़ से लेकर डेढ़ करोड़ तक पहुंच गई है। हालांकि वास्तविक भूखंड मालिक अपने भूखंड बेच सकता है, लेकिन इसके लिए उसे सहकारिता विभाग और संस्था के नियमों का पालन करना पड़ेगा। वहीं पंजीयन विभाग से भी होने वाली रजिस्ट्रियों की जानकारी प्रशासन लगातार निकलवा रहा है, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी इस मुहिम में ना हो।

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