भोपाल। दुनिया से कोविड का साया कम नहीं हुआ है और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) पर कोविड (Covid) के साथ, ब्लैक फंगस (Black fungus) और डेंगू (Dengue) के बाद स्क्रब टाइफस (scrub typhus) बीमारी का खतरा मंडरा रहा है। इस बीमारी का शिकार हुआ भूपेंद्र नोरिया महज एक 6 साल का बच्चा है जिसकी जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई। रायसेन के इस बच्चे ने 15 अगस्त को अस्पताल में दम तोड़ा था। बाद मे स्क्रब टायफस की पुष्टि हुई है।
इस बीमारी में व्यक्ति को पहले ठंड लगती है और फिर बुखार आता है। समय पर इलाज न कराने पर यह बिगड़ जाता है। इस वजह से मरीज को निमोनिया या इंसेफलाइटिस हो जाता है। हालत बिगड़ने पर वह कोमा में भी जा सकता है। आम तोर पर यह बीमारी जुलाई से अक्टूबर के बीच अधिक फैलती है।
लोग इसे गलती से वायरल फीवर समझ इलाज नहीं करवाते है। लेकिन बाद में यह गंभीर रूप ले लेती है। इसे रिकेटसिया नाम का जीवाणु फैलाता है। ये जीवाणु पिस्सुओं में होता है। ये पिस्सू जंगली चूहों से इंसानों तक पहुंचते हैं। इसी पिस्सू के काटने से जीवाणु शरीर में प्रवेश कर जाता है।
दस दिनों में दिखने लगते हैं लक्षण
डॉक्टरों का कहना है कि लार्वा माइट्स द्वारा काटे जाने के 10 दिनों के अंदर लक्षण दिखाई देने लगते हैं। पहले बुखार, फिर सिरदर्द और बाद में शरीर में दर्द होने लगता है। जहां माइट्स काटते हैं, उस जगह का रंग गहरा लाल हो जाता है। वहां पपड़ी जम जाती है। इलाज न कराने पर मरीज की हालत खराब हो जाती है। कई मरीजों में ऑर्गन फेल होने और ब्लीडिंग के लक्षण भी देखे गए हैं।
इस तरह करें बीमारी से बचाव
डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी से बचने के लिए हमेशा साफ और फुल कपड़े पहनें। घर के आस-पास घास या झाड़ियां न उगने दें। ध्यान रखें कि आसपास पानी जमा न हो। खेतों में जा रहे हैं तो पूरा शरीर अच्छी तरह से ढका हुआ हो। गौरतलब है कि अभी तक इस बीमारी के इलाज की कोई वैक्सीन नहीं बनी है। मरीज को एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन लगाई जाती है। शुरुआत में ही डॉक्सीसाइक्लिन से इलाज कराने वाले मरीज आमतौर पर जल्दी ठीक हो जाते हैं। अगर आपको कोई भी कीड़ा काट ले, तो तुरंत साफ पानी से उस हिस्से को धोकर एंटीबायोटिक दवा लगा लें।
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