उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

कई वर्षों बाद गंभीर डेम का गहरीकरण आज से होगा

  • डेम के अंदर बन गए मिट्टी टीले-इसलिए पानी का भंडार भी कम होता है
  • आज डेम चैनल के पास का सबसे बड़ा टीला हटाने से होगी शुरुआत

उज्जैन। आज से गंभीर डेम से गाद हटाने का काम शुरू किया जाएगा। जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रतीकात्मक रूप से कार्यक्रम की शुरुआत होगी। उसके बाद ग्राम पंचायत और समाजसेवी संस्थाएँ मिलकर गंभीर डेम में जहाँ भी वर्तमान में टीले बने हुए हैं वहाँ की मिट्टी हटाकर गहरीकरण किया जाएगा। करीब 18 साल बाद गंभीर डेम गहरीकरण एवं गाद हटाने का काम आज से नगर निगम एवं पीएचई तथा पंचायत एवं समाजसेवी संस्थाओं के माध्यम से शुरू किया जा रहा है। सुबह 10 बजे कार्यक्रम शुरू हुआ। फिलहाल पीएचई एवं सिंचाई विभाग ने गंभीर डेम में तीन टीले चिन्हित किए हैं। एक पहला टीला जो सबसे बड़ा है वह डेम की चैनल के पास में ही है। ऐसे अभियान की शुरुआत होगी। इसके अलावा एक बड़ा टीला कंथार खेड़ी के पास है और एक बिल्केश्वर मंदिर के पास है। शुरुआती चरण में इन तीनों टीलों को हटाने का काम किया जाएगा। इसके बाद अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में गंभीर डेम की सीमा में जहाँ-जहाँ मिट्टी के टीले हैं, वहाँ की पंचायत से बातचीत की जाएगी और जिन किसानों को डेम की जलोढ़ मिट्टी की जरूरत होगी, वह किसान यहाँ से नि:शुल्क मिट्टी ले जा सकते हैं।



इसके लिए पीएचई विभाग द्वारा एक टोकन दिया जाएगा जिससे उनके ट्रैक्टर को कहीं रोका नहीं जा सके। इससे काम तेजी से चलेगा। यह अभियान पूरे जून माह चलेगा और यदि ठीक ढंग से यह अभियान चलाया गया तो डेम में पानी की मात्रा 300 से 400 एमसीएफटी बढ़ सकती है जो कि ढाई महीने जल वितरण में काम आ सकता है। वर्तमान में डेम की कैपेसिटी 2250 एमसीएफटी है लेकिन पूरे डेम में जगह-जगह मिट्टी के टीले बन गए और गाद तथा सिल्ट जम चुकी है इसके कारण डेम में बारिश के मौसम के बाद 2250 एमसीएफटी पानी भरा तो दिखता है लेकिन गाद जमीन होने के कारण और मिट्टी के टीलों के कारण वहाँ पर पानी नहीं रहता है। अर्थात डेम में वर्तमान में 1700 से 1800 एमसीएफटी पानी ही रहता है और हर साल गर्मी आते-आते जल संकट का सामना करना पड़ता है। निगमायुक्त रोशन कुमार सिंह ने बताया सिंचाई विभाग एवं पीएचई की तकनीकी मॉनिटरिंग में आज से श्रमदान का यह काम शुरू किया जा रहा है और इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि गाद निकालने और गहरीकरण से डेम को कोई नुकसान नहीं पहुँचे, इसलिए श्रमदान के दौरान सिंचाई विभाग और पीएसी के इंजीनियर वहीं मौजूद रहेंगे। श्रमदान की शुरुआत कैबिनेट मंत्री डॉ. मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया, महापौर मुकेश टटवाल, विधायक पारस जैन के आतिथ्य में होगी।

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