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‘कुछ लोगों के आदतन हुड़दंग से लोकतंत्र का चीरहरण’, संसद सत्र से पहले PM मोदी का विपक्ष पर निशाना

नई दिल्ली। संसद (parliament) के बजट सत्र (budget session) की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने संसद में हंगामा करने वाले विपक्षी दलों (opposition parties) पर निशाना साधा और कहा कि कुछ लोग आदतन हुड़दंग (habitual fuss) करते हैं। ऐसे बर्ताव से लोकतंत्र का चीरहरण होता है। उन्होंने सांसदों से चुनाव (Election) से पहले आहूत संसद सत्र में सार्थक चर्चा की अपील करते हुए कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) एक फरवरी के बजट भाषण में सरकार की मजबूत आर्थिक नीतियों की तस्वीर पेश करेंगी। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण से सरकार का मार्गदर्शन होने का भी जिक्र किया।

प्रधानमंत्री ने नारीशक्ति वंदन अधिनियम का जिक्र किया
संसद के बजट सत्र की शुरुआत से पहले पीएम मोदी का नया अवतार दिखा। संसद सत्र में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत ‘राम-राम’ के साथ की। उन्होंने कहा, वर्ष 2024 का राम-राम। साथियों इस नए संसद भवन में जो पहला सत्र हुआ था, उसके आखिर में एक बहुत ही गरिमापूर्ण फैसला लिया था। वह फैसला था नारीशक्ति वंदन अधिनियम और उसके बाद 26 जनवरी को भी हमने देखा कि किस प्रकार से देश ने कर्तव्यपथ पर नारी शक्ति के सामर्थ्य को, नारी शक्ति के शौर्य को, नारी शक्ति के संकल्प की शक्ति को अनुभव किया गया।


विपक्ष पर निशाना, कहा- आदतन लोकतांत्रिक मूल्यों का चीरहरण
पीएम मोदी ने कहा कि आज से संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो रही है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी का मार्गदर्शन और कल निर्मला सीतारमण जी द्वारा अंतरिम बजट एक प्रकार से नारी शक्ति के साक्षात्कार का पर्व है। उन्होंने कहा, ‘मैं आशा करता हूं कि गत 10 वर्ष में जिसको जो रास्ता सूझा, उस प्रकार से संसद में सबने अपना अपना कार्य किया। लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा कि जिनको आदतन हुड़दंग करने का स्वभाव बन गया है, जो आदतन लोकतांत्रिक मूल्यों का चीरहरण करते हैं, ऐसे सभी माननीय सांसद आज जब आखिरी सत्र में मिल रहे हैं, तब जरूर आत्मनिरीक्षण करेंगे कि बीते 10 साल में उन्होंने जो किया, वह किसी को भी याद नहीं होगा।’

हुड़दंग करने वाले लोगों के लिए पश्चाताप का अवसर
प्रधानमंत्री ने रचनात्मक आलोचना की अपील करते हुए कहा, ‘विरोध का स्वर तीखा क्यों न हो, आलोचना तीखी क्यों न हो। लेकिन अच्छे विचारों से जिन्होंने सदन को आशान्वति किया होगा, उनसे देश प्रभावित हुआ होगा। जिन्होंने भले ही विरोध न किया हो, लेकिन खुद की प्रतिभा से परिचय कराया होगा, तीखी आलोचना के बावजूद अपनी बात को प्रभावी ढंग से रखा होगा।’ लेकिन जिन्होंने सिर्फ हुड़दंग, शरारतपूर्ण व्यवहार किया होगा। उन्हें शायद ही कोई याद करेगा। यह बजट सत्र पश्चाताप का भी अवसर है। यह अच्छे फुटप्रिंट छोड़ने का भी अवसर है। उन्होंने सभी सांसदों से बेहतर से बेहतर प्रदर्शन करने की अपील करते हुए अपने संबोधन का समापन भी ‘राम-राम’ बोलकर किया।

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