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अयोध्‍या का विवादित ढांचा गिराने वाला जाएगा राज्‍यसभा, जानें कौन है डॉ.अजीत गोपछडे, क्‍या रणनीति

नई दिल्‍ली (New Dehli)। भाजपा ने महाराष्ट्र (BJP Maharashtra)में तीन राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। इन लोगों में पूर्व सीएम अशोक चव्हाण(Former CM Ashok Chavan), मेधा गाडगिल और डॉ. अजीत गोपछडे है। इनमें सबसे चौंकाने (shocking)वाला नाम अजीत गोपछडे (Ajit Gopachade)का ही है, जो 1992 में बाबरी ढांचे के विध्वंस के दौरान कारसेवक थे। यही नहीं वह उस दौरान बाबरी ढांचे के ऊपर भी चढ़ गए थे और उसे धक्का देने वालों में से एक थे। उनकी बाबरी के ऊपर चढ़ जाने की तस्वीर आज भी वायरल हो रही है। ऐसे में उन्हें राज्यसभा भेजने का फैसला अहम है। केंद्र की मोदी सरकार इससे पहले राम रथ यात्रा निकालकर भाजपा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दे चुकी है।

उनके अलावा राम मंदिर के एक और पैरोकार एवं पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को भी यह सम्मान पिछले दिनों दिया गया है। इस तरह राम मंदिर से जुड़े तीसरे शख्स को मोदी सरकार ने सम्मान दिया है। डॉ. अजीत गोपछडे ने खुद भी अपनी वह तस्वीर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से एक दिन पहले शेयर की थी, जिसमें वह बाबरी के ऊपर चढ़े दिखते हैं। उन्होंने एक्स पर फोटो शेयर करते हुए लिखा था, ‘रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देखते हुए गर्व हो रहा है कि हम भी उस आंदोलन में कारसेवक की भूमिका में थे। इस दिन ने मुझे 6 दिसंबर, 1992 की याद दिला दी है। बाबरी के ऊपर की एक तस्वीर मेरी वायरल हो रही है। मेरा हृदय एक बार फिर से उन्हीं यादों में खो गया है।’

लिंगायत समुदाय से आते हैं गोपछडे, महाराष्ट्र तक है असर

डॉ. गोपछडे लिंगायत समुदाय से आते हैं, जिसकी कर्नाटक में अच्छी खासी आबादी है। इसके अलावा महाराष्ट्र के भी कुछ लोकसभा क्षेत्रों में उनका प्रभाव है। डॉ. अजीत गोपछडे आरएसएस के प्रचारक रहे हैं और महाराष्ट्र में लंबे समय से सक्रिय हैं। वह प्रदेश भाजपा में मेडिकल सेल के प्रभारी भी रहे हैं। इस सेल के प्रभारी रहने के दौरान उन्होंने करीब 50 हजार डॉक्टरों को पार्टी से जोड़ा है। वह एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई कर चुके हैं। भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजकर यह संदेश दिया है कि वह राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों का सम्मान कर रही है।

राम मंदिर आंदोलन के कम चर्चित चेहरे को भी सम्मान, काडर को संदेश

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान 1992 की घटना और उससे पहले चले आंदोलन में शामिल लोगों को याद किया जा रहा था। कौन से चेहरे मौजूद हैं और कौन नहीं हैं, इसकी चर्चा हो रही थी। भाजपा सरकार ने पहले आडवाणी को भारत रत्न दिया और गोपछडे जैसे शख्स को राज्यसभा भेजकर संदेश दिया है कि वह राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे लोगों को भूली नहीं है। इसके अलावा गोपछडे जैसे नेता को राज्यसभा भेजने से पार्टी के हार्ड कोर समर्थकों और आरएसएस के काडर में भी उत्साह का संचार होगा।

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