आचंलिक

राष्ट्रव्यापी आंदोलन में सहभागी बनने की देवकीनंदन ने दिलाई शपथ

  • कथा के दौरान देश के दो दिग्गज कथा वाचकों का हुआ मिलन,

विदिशा। रविवार को एक बार फिर से देश के चोटी के 2 कथाकार विदिशा में एक साथ एक ही पंडाल के एक ही मंच पर नजर आए। दरअसल विदिशा में 7 अप्रैल से बागेश्वर धाम के महाराज पं.धीरेंद्र शास्त्री की भागवत कथा चल रही है। शाम 4 बजे से शुरू हुई कथा में करीब एक घंटे बाद वृंदावन धाम के सुप्रसिद्ध कथाकार देवकीनंदन ठाकुर भी बागेश्वर धाम के महाराज पं.धीरेंद्र शास्त्री की कथा में एक साथ, एक ही पंडाल में एक की मंच पर नजर आए। इससे श्रद्धालु भी आश्चर्यचकित रह गए। देवकीनंदन ठाकुर ने मंच पर आते ही सबसे पहले व्यासगादी को प्रणाम करते हुए बागेश्वर धाम के महाराज को अपना छोटा भाई बताया।


इसके बाद उन्होंने राम जन्म भूमि की तरह कृष्ण जन्म भूमि को भी कारावास से मुक्त करवाने के अपने संकल्प का शंखनाद किया। उन्होंने हाथ उठवाकर लोगों को राष्ट्रव्यापी आंदोलन में सहभागी बनने का संकल्प दिलवाया। देवकीनंदन का कहना था कि कृष्ण जन्म भूमि कारावास से मुक्त नहीं होगी तो महाभारत की तरह रण होगा और यह रण भी काफी भीषण होगा। इस मौके पर पं.धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि देवकी नंदन ठाकुर मेरे बड़े भाई हैं। मेरी और उनकी दोस्ती पर काहू की नजर ना लगे। जो नजर लगाए तो उसकी ठठरी बंधे।देवकीनंदन ठाकुर ने मंच से कहा कि कोई सिर्फ माथे पर तिलक लगाने से हिंदू और सनातनी नहीं हो जाता बल्कि अपने ईष्ट देव को बंदीगृह से आजाद करवाना भी उनकी जिम्मेदारी है। इसलिए खूब खाओ और ताकत बढ़ाओ ताकि इसके लिए आंदोलन कर सको। अयोध्या के बाद अब मथुरा और काशी की मांग भी जोर पकड़ रही है। सिर्फ सोशल मीडिया पर सक्रिय होकर हिंदू नहीं बन सकते।

ब्राह्मणों और संतों की शरण में है धर्म
पं.धीरेंद्र शास्त्री ने तीसरे दिन की कथा में अपने गुरु भाई देवकी नंदन ठाकुर का व्यासपीठ से सम्मान किया। उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया। उनके आंदोलन में सहभागी बनने का आश्वासन दिया। इसी के साथ गज और ग्राह प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया।भगवान को भी भक्त के अधीन बताया। उनका कहना था कि राम और कृष्ण के धरती से जाने के बाद धर्म ब्राम्हणों और संतों की शरण में है। उसकी रक्षा हमारी जिम्मेदारी है। भगवान बिना पैरों के चलते हैं और बिना कानों के सुनते हैं।

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