रोजमर्रा के कामकाज के दौरान छोटी-छोटी बातों को भूल जाना आम है। हां, अगर कोई अहम बातों को भी भूलने लगे, तो यह अल्जाइमर का लक्षण हो सकता है। इस बीमारी से पीड़ित लोग अपनों के साथ होते हुए भी नहीं होते, क्योंकि उनके दिमाग की तमाम बातें और यादें मिटने लगती हैं। अफसोस, इस भूलने की बीमारी यानी अल्जाइमर का कोई सटीक इलाज नहीं है । यह बीमारी समय के साथ और गंभीर होती जाती है, लेकिन दवाई और अल्जाइमर रोग के घरेलू उपाय से इसके लक्षण को कुछ कम किया जा सकता है।
एक हालिया अध्ययन में दावा किया गया है कि टाइप 2 मधुमेह के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं अल्जाइमर (Alzheimer’s) के जोखिम को कम कर सकती हैं। परीक्षण के दौरान मधुमेह के लिए कुछ दवाएं लेने वाले लोगों के मस्तिष्क में अमाइलॉइड कम पाया गया, जो कि अल्जाइमर रोग का बायोमार्कर होता है।
इस अध्ययन के निष्कर्ष ‘अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी’ जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। ऐसी दवाएं लेने वाले लोग, जिन्हें डाइपेप्टिडाइल पेप्टिडेज-4 इनहिबिटर कहा जाता है, ने अन्य दो समूहों के लोगों की तुलना में धीमी संज्ञानात्मक गिरावट दिखाई।
अध्ययन में 76 वर्ष की औसत आयु वाले 282 लोगों को शामिल किया गया। इनमें से 70 मधुमेह पीड़ितों (diabetic sufferers) का इलाज डाइपेप्टिडाइल पेप्टिडेज-4 के साथ किया जा रहा था, 71 को पीड़ितों का इलाज दवाओं से नहीं किया जा रहा था और 141 को मधुमेह नहीं था।
प्रमुख लेखक और दक्षिण कोरिया (South Korea) के सियोल में योंसेई यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर फिल ह्यू ली ने कहा कि मधुमेह वाले लोगों को अल्जाइमर का उच्च जोखिम दिखाया गया है, संभवत: उच्च रक्त शर्करा के स्तर के कारण, जो मस्तिष्क में अमाइलॉइड-बीटा (amyloid-beta ) के निर्माण से जुड़ा है। ऐसे में हमारे निष्कर्ष एक आशा क किरण बनकर सामने आए हैं।
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