संयुक्त राष्ट्र. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNA) अध्यक्ष फिलेमोन यांग (Philemon Yang) ने कहा कि भारत (India) ने पिछले दशक में उल्लेखनीय परिवर्तनों का अनुभव किया है। चार दिवसीय भारत दौरे से पूर्व यांग ने कहा कि आगामी यात्रा में उन्हें यह देखने का अवसर मिलेगा कि कैसे डिजिटल (Digital) व तकनीकी (technological) नवाचार ने इन बदलावों को बढ़ावा दिया। यांग संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 79वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में 4-8 फरवरी तक भारत की पहली आधिकारिक यात्रा पर होंगे।
भारत यात्रा से पहले बोले यांग
यांग ने यात्रा से पहले खास बातचीत में कहा, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था व विश्व की 20 प्रतिशत आबादी का घर होने के नाते भारत संयुक्त राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण सदस्य है। यांग ने कहा कि वह बहुपक्षवाद के भविष्य के लिए भारत की प्राथमिकताओं व दृष्टिकोण को और अधिक गहराई से समझने के लिए उत्सुक हैं।
मध्य अफ्रीकी देश कैमरून के प्रधानमंत्री के रूप में वर्ष 2013 में अपनी भारत यात्रा को याद करते हुए यांग ने कहा कि तब से अब तक भारत में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं। उन्होंने कहा, यह यात्रा वैश्विक दक्षिण में सतत विकास को आगे बढ़ाने में सूचना साझा करने तथा क्षमता निर्माण के महत्व को भी उजागर करेगी।
भारत ने अपने दक्षिण-दक्षिण सहयोग के माध्यम से कई मामलों में नेतृत्व किया है। यांग ने कहा कि भारत के लोगों, खास तौर पर भारत के युवाओं के लिए उनका संदेश आत्मविश्वास व महत्वाकांक्षा है। असाधारण काम में आत्मविश्वास व महत्वाकांक्षा कि सामूहिक रूप से हमारी दुनिया को बेहतर बनाने के लिए हमेशा और काम करना है। भारत यात्रा के दौरान यांग राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर समेत अन्य नेताओं से बातचीत करेंगे।
सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर प्रतिबद्ध हों यूएन सदस्य
यूएनजीए अध्यक्ष यांग ने कहा कि इस साल संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 80 वर्ष पूरे हो रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि इसकी स्थापना जिस उद्देश्य के लिए की गई थी, वह उस पर खरा उतरे। यांग ने सभी सदस्य देशों से सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार के लिए प्रतिबद्ध होने का आह्वान किया।
इस वैश्विक संस्था को यह स्वीकार करना चाहिए कि समय के साथ इसमें बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र के लिए यह जरूरी है कि वह अपने उद्देश्यों के अनुरूप काम करे, ताकि वैश्विक घटनाओं से जुड़े कई ज्वलंत मुद्दों का बेहतर तरीके से समाधान किया जा सके। हमें समय के साथ होने वाले बदलाव से तालमेल बैठाने की जरूरत को स्वीकार करना चाहिए। 1945 के मुकाबले भू-राजनीतिक परिदृश्य बिल्कुल बदल गया है। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की सदस्यता में सुधार के बारे में यांग ने कहा कि यह मांग सबसे प्रमुख है और इसमें कोई संदेह नहीं है।
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