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केन्द्र की चीनी कारोबारियों को अंतिम चेतावनी, कहा-कल तक करें स्टॉक का खुलासा

नई दिल्ली (New Delhi)। मोदी सरकार (Modi government) ने सभी चीनी व्यापारियों (Sugar traders), खुदरा और थोक विक्रेताओं (retailers and wholesalers), बड़ी श्रृंखलाओं और प्रसंस्करणकर्ताओं (large chains and processors) को 17 अक्तूबर तक सरकारी पोर्टल पर अपने स्टॉक का खुलासा (stock disclosure) करने की अंतिम चेतावनी दी है। सरकार ने कहा है कि ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने यह कदम त्योहारी मौसम (Festive season) में चीनी की उपलब्धता बढ़ाने और जमाखोरी के खिलाफ उठाया है।

आदेश का पालन नहीं किया:
खाद्य मंत्रालय ने 23 सितंबर को भी एक आदेश जारी कर सभी चीनी हितधारकों को आदेश दिया था कि वे मंत्रालय वेबसाइट पर साप्ताहिक रूप से अपने स्टॉक की स्थिति बताएं। मंत्रालय ने पाया कि चीनी व्यापार और भंडारण से जुड़े कई हितधारकों ने अब तक चीनी स्टॉक प्रबंधन प्रणाली पर खुद को पंजीकृत नहीं किया है।


सख्ती से निपटेंगे:
मंत्रालय का कहना है कि ऐसे कई मामले हैं, जहां चीनी कारोबारी नियमित आधार पर अपने स्टॉक का खुलासा नहीं कर रहे हैं। इससे न केवल नियामकीय ढांचे का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि चीनी बाजार का संतुलन भी प्रभावित हो रहा है। मंत्रालय ने सभी हितधारकों को अंतिम चेतावनी देते हुए कहा है कि 17 अक्टूबर तक स्टॉक का खुलासा न करने वालों पर जुर्माना और प्रतिबंध लगाया जाएगा।

त्योहारी सीजन में ऊंचे ही रहेंगे दाम:
चालू सीजन में चीनी का उत्पादन घटने की वजह से दाम ऊंचे ही रहने के अनुमान लगाया जा रहा है। इक्रा की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल-जुलाई 2023 के बीच घरेलू चीनी के दाम 36 रुपए प्रति किलो हुआ करते थे। ये अगस्त से सितंबर 2023 के दौरान 37 से 39 रुपए प्रति किलो तक हो गई है। इसके पीछे मांग में तेजी और आपूर्ति में कमजोरी को वजह माना जा रहा है। ऐसे में इसके आने वाले दिनों में बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

चीनी के निर्यात पर रोक की तैयारी
बताया जा रहा है कि खाद्य मंत्रालय ने 31 अक्टूबर के बाद चीनी के निर्यात पर रोक लगाने की सिफारिश सरकार से की है। इस साल बारिश की वजह से कम उत्पादन औप त्योहारी मौसम में मांग को देखते हुए यह फैसला लिया जा सकता है। घरेलू चीनी उत्पादन 15 सितंबर 2023 तक 32.76 मिलियन टन के करीब रहा है, जो पिछले चीनी सीजन से कम है। उत्पादन घटने के पीछे महाराष्ट्र में असमान बारिश की वजह से गन्ने का कम उत्पादन वजह रही है। हाल ही में खाद्य सचिव ने कहा था कि देश में चीनी का पर्याप्त स्टॉक है। देश में चीनी साल भर उचित कीमतों पर उपलब्ध रहेगी। जमाखोरों पर केंद्र और राज्य सरकारों की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं।

बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य में बदलाव नहीं
सरकार ने बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात (एमईपी)मूल्य में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है और उसे 1200 डॉलर प्रति टन पर स्थिर रखा है। सरकार ने अगस्त के अंतिम हफ्ते में बासमती चावल पर 1200 डॉलर प्रति टन के एमईपी की शर्त लगाई थी। इसके बाद से निर्यातक और किसान इसे हटाने या कम करने की मांग कर रहे थे, लेकिन घरेलू स्तर पर चावल की महंगाई को देखते हुए सरकार ने इस मूल्य को कम नहीं किया है। वहीं, चावल निर्यातकों ने व्यापार को सुचारू बनाने के लिए केंद्र से उसना चावल के लिए मौजूदा 20 प्रतिशत शुल्क के बजाय एक निश्चित 80 डॉलर प्रति टन का निर्यात शुल्क लगाने का अनुरोध किया है। भारतीय चावल निर्यातक संघ (आईआरईएफ) ने सफेद चावल के निर्यात लगाए प्रतिबंध पर भी पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।

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