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अयोध्या: डीएम बोले- राम मंदिर ट्रस्ट आज जमीन बेचे तो दोगुने दाम मिलेंगे, जानें- कैसे हुई थी पूरी डील

अयोध्या। दो करोड़ की जमीन को 18.50 करोड़ में खरीदने वाला श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अभी भी फायदे में है। हालांकि सियासत के लिए कई कानूनी और नैतिक बाध्यताएं ट्रस्ट की थ्योरी पर सवाल खड़े करती रहेंगी। मगर असलियत यह है कि दो करोड़ की रजिस्ट्री 4 साल पहले हुए एग्रीमेंट पर आधारित थी तब राम नगरी में साल के 6 महीने संगीनों के साए में गुजरते थे।

मगर डेढ़ साल पहले राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां जमीन के दाम 10 गुना से ज्यादा बढ़ चुके हैं। बाग बिजैसी मोहल्ले में ट्रस्ट की ओर से खरीदा गया भूखंड ठीक उस स्थान पर है, जहां नए प्लान में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मॉडल जैसा बन रहे अयोध्या रेलवे स्टेशन का मुख्य द्वार प्रस्तावित है। इसी के मद्देनजर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की ओर से ट्रस्टियों समेत शासन और सत्ता के शीर्ष तक मार्केट वैल्यू से तुलना करती हुई एक रिपोर्ट रविवार की देर रात ही भेज दी गई। ट्रस्ट ने यह भी एलान किया है कि राम मंदिर के विस्तार में चाहे जितनी महंगी जमीन मिलेगी, उसे खरीदने से पीछे नहीं हटेगें।

सुप्रीम कोर्ट से 9 नवंबर 2019 को श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में आए फैसले के बाद केंद्र सरकार द्वारा गठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पहली बार भूखंड खरीद को लेकर विवादों से घिरा है। आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह और सपा के पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडेय ने हरीश कुमार पाठक उर्फ बाबा हरिदास व पत्नी कुसुम पाठक के जरिए दो करोड़ में भूखंड  गाटा संख्या  243,  244 और 246 रकबा 12080 वर्ग मीटर  यानी 129980.8 वर्ग फिट को सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी को बेचने के 10 मिनट बाद 18:50 करोड़ में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को बेचकर बड़े घोटाले का संगीन आरोप लगाया है। लेकिन आरोप मढ़ते समय एक बड़ी सच्चाई जानबूझकर छिपा ली गई, ऑनलाइन रजिस्ट्री दस्तावेज अपलोड किए जाने वाले 18 मार्च 2021 के एक ही पेज पर तीन एंट्री दर्ज है।


सबसे पहले कुसुम पाठक और हरीश कुमार पाठक उर्फ बाबा हरिदास आदि के विक्रय विलेख अनुबंध के निरस्तीकरण की जानकारी और दस्तावेज अपलोड है। यानी उपरोक्त दोनों विक्रेताओं ने अपनी जमीन का पहले सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी को एग्रीमेंट कर रखा था। चंद मिनट पहले एग्रीमेंट अनुबंध निरस्त हुआ। इसके बाद एग्रीमेंट कराने वालों के पक्ष में रजिस्ट्री हुई फिर रजिस्ट्री कराने वाले पक्ष ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को कब्जा करने के साथ रजिस्टर्ड एग्रीमेंट किया।

92 लाख पेशगी देकर जमीन का एग्रीमेंट किया गया था
एग्रीमेंट अनुबंध की जांच की गई तो सामने आया कि 2 करोड़ 16 लाख में वर्ष 2017 में 92 लाख पेशगी देकर जमीन का एग्रीमेंट किया गया था। इससे स्पष्ट होता है कि जमीन का मूल्य 2017 के उस दौर का था, जब अयोध्या में 6 दिसंबर हो या रामनवमी समेत पड़ने वाले 6 प्रमुख त्योहार और मेले संगीनों के साए में होते थे। इन मौकों पर भी दुकानदार कमाई के लिए तरस जाते थे। तब संशय, डर और दहशत में लोगों के दिन कटते थे।

श्री राम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास कहते हैं कि आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के नेताओं का आरोप सियासी लाभ लेने वाला है, इसका सच्चाई से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। ट्रस्ट ने जो जमीन ली है, उसकी मार्केट वैल्यू मौके पर आकर विरोधी जांच कर लें तो मुंह पर ताला लग जाएगा। ट्रस्ट ईमानदारी से अयोध्या के सांस्कृतिक विकास में लगा हुआ है। जमीन खरीद-फरोख्त कारोबार से जुड़े इकबाल बताते हैं कि जिस भूखंड को ट्रस्ट ने लिया है वह कभी हाजी फैक की हुआ करती थी, उनको कोई औलाद नहीं थी तो वक्फ बोर्ड को देने का निर्णय लिया गया। बाद में जो बोर्ड में प्रभावी थे, उन्होंने इसे प्राप्त करके तमाम लोगों को बेचना शुरू किया।

उन्हीं से हरीश पाठक ने बहुत सस्ते दाम पर खुद व पत्नी के नाम कई जमीन खरीदी थीं, इसके एक हिस्से में कई लोगों के एग्रीमेंट के बाद 2017 का एग्रीमेंट चल रहा था। हालांकि 3 साल में यह भी नियमानुसार समाप्त हो जाना चाहिए था। डेवलपर्स कंपनी चलाने वाले राजेश वर्मा कहते हैं कि बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, राजस्थान समेत तमाम प्रदेशों से आ रहे व्यापारियों को यह इलाका सबसे ज्यादा पसंद आ रहा है। ट्रस्ट आज अपनी जमीन बेचे तो उसे दोगुना दाम मिल सकता है।

ठीक इसी के सामने अयोध्या रेलवे स्टेशन का मुख्य द्वार बनना है
मामले पर जिलाधिकारी अयोध्या अनुज कुमार झा का कहना है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बाग बिजैसी मोहल्ले में जो जमीन खरीदी है वह काफी महत्वपूर्ण स्थान पर है। ठीक इसी के सामने अयोध्या रेलवे स्टेशन का मुख्य द्वार बनना है। नए प्लान में यह इलाका सबसे बड़ा व्यावसायिक हब बनेगा। भक्तों की सुविधाओं के लिए ट्रस्ट के प्लान का स्वागत होना चाहिए। राम मंदिर की भव्यता और विस्तार में धन की कमी आड़े नहीं आएगी।

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