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रक्षाबंधन पर भद्र काल में भूलकर भी न बांधें राखी, शुभ कार्यों का मिलता है अशुभ फल


डेस्क: रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध कर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं. राखी का त्योहार सावन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस बार रक्षाबंधन पर्व 11 अगस्त, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा. मान्यता है कि रक्षाबंधन पर शुभ मुहूर्त में ही भाइयों के टीका किया जाता है. रक्षाबंधन पर पहले ही जान लें भद्राकाल का समय और शुभ मुहूर्त.

हिंदू पंचाग के अनुसार इस साल 11 अगस्त, गुरुवार के दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में भद्रा काल को अशुभ माना जाता है और मान्यता है कि इस दिन में टीका करना शुभ नहीं माना जाता. इस दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 10 बजकर 38 मिनट से प्रारंभ होगी और 12 अगस्त शुक्रवार सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगी.


रक्षाबंधन के दिन भद्रा का समय

  • भद्रा पुंछ- शाम 5 बजकर 17 मिनट से 6 बजकर 18 मिनट तक
  • भद्रा मुख- शाम 6 बजकर 18 मिनट से 8 बजे तक
  • भद्रा समाप्ति- रात 8 बजकर 51 मिनट पर

भद्रा काल में क्यों नहीं बांधी जाती राखी
धार्मिक मान्यता के अनुसार भद्रा काल में किए गए शुभ कार्यों का परिणाम अशुभ ही होता है. इसलिए भद्रा काल के समय भाइयों को राखी भूलकर भी न बांधें. इस दौरान राखी बांधना अशुभ माना जाता है. पौराण‍िक कथा के अनुसार रावण ने अपनी बहन से भद्रा काल में राखी बंधवाई थी और उसका ही परिणाम था कि एक साल के अंदर उसका विनाश हो गया था. इसलिए इस समय भूलकर भी बहनें भाइयों के राखी न बांधें.

ऐसा भी माना जाता है कि शनिदेव की बहन का नाम भी भद्रा था. उन्हें ब्रह्माजी जी ने शाप दिया हुआ था कि भद्रा में शुभ काम का परिणाम अशुभ ही होगा. साथ ही, राहुकाल में भी राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता. इस दिन शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधनी चाहिए.

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