भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

खाद्यान्न पर टैक्स लगने के बाद ई-वे बिल पर संशय

भोपाल। पैकिंग और लेबल के साथ बिक रही खाद्य वस्तुओं और खाद्यान्न पर जीएसटी लागू करने के बाद ऐसे माल के परिवहन पर ई-वे बिल का मुद्दा गरमाया हुआ है। 18 जुलाई से लेबल और पैकिंग के साथ बिकने वाली आटा-दाल, अनाज, दूध, दही, मुरमुरे, गुड़, शहद जैसी तमाम वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाया गया है। 25 किलो और बड़े पैक को टैक्स से छूट दी गई। इस आधार पर तमाम कर सलाहकारों ने ऐसी वस्तुओं पर ई-वे बिल से छूट भी घोषित कर दी है। विभाग ने साफ कर दिया है कि जल्दबाजी में किसी तरह के निष्कर्ष पर पहुंचना ठीक नहीं है। विभाग एक-दो दिन में सर्कुलर से स्थिति स्पष्ट करेगा।
जीएसटी के ई-वे बिल के नियम 138 के तहत तमाम तरह की वस्तुओं की सूची जीएसटी काउंसिल ने पहले से जारी कर रखी है। इन वस्तुओं को ई-वे बिल से मुक्त रखा गया है। इसमें अनाज, खाद्य पदार्थों, चाय, बीज जैसे तमाम वस्तुओं को शामिल किया गया है। पुरानी सूची में इन वस्तुओं को ई-वे बिल से छूट देने के साथ शर्त भी जोड़ी गई थी कि वे वस्तुएं रजिस्टर्ड ब्रांड नेम के साथ न हो। हालांकि 18 जुलाई से जीएसटी के नए नियम बदल गए। नए नियमों में ब्रांड नेम को लेबल्ड और पैक शब्द से प्रतिस्थापित कर दिया गया। ऐसी सभी वस्तुओं पर जीएसटी लगा दिया गया। साथ ही शर्त जोड़ी गई कि 25 किलो या 25 लीटर व ज्यादा मात्रा वाले पैक को जीएसटी से छूट दे दी गई।


बदले नियम पर सवाल
बदले नियमों के बाद सवाल उठा कि बड़े पैक पर ई-वे बिल लगेगा या नहीं। पुरानी सूची के आधार पर कुछ वरिष्ठ कर सलाहकारों ने बड़े पैक पर ई-वे बिल की छूट लागू होने का दावा भी कर दिया। हालांकि विभाग ने फिलहाल ऐसी छूट देने पर हामी भरने के बजाय इंतजार करने की सलाह दी है। राज्यकर आयुक्त लोकेश जाटव में साफ कर दिया है कि ई-वे बिल पर पुराने अलग-अलग कई नोटिफिकेशन हैं। अभी तुरंत कुछ कहने से संशय और बढ़ेगा।

पुराने नियम से विरोधाभास
ई-वे बिल से छूट की पुरानी सूची पर इसलिए सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि 18 जुलाई से पहले की स्थिति में टैक्स रोपित करने का वजन या पैकिंग से कोई संबंध नहीं था। साथ ही रजिस्टर्ड ब्रांड नेम होना भी टैक्स व ई-वे बिल के दायरे में लाने की अनिवार्य शर्त थी। इस लिहाज से गैर ब्रांडेड सभी खाद्य वस्तुएं टैक्स फ्री श्रेणी में शामिल थी। मौजूदा समय में गैर ब्रांडेड लेकिन पैकिंग और लेबल वाली वस्तुएं जीएसटी के दायरे में आ गई है। वे टैक्स फ्री नहीं रही सिर्फ बड़ी पैकिंग को टैक्स से छूट दी गई है। ऐसे में वस्तुएं टैक्स फ्री न होकर विशेष शर्त के आधार पर टैक्स से छूट के दायरे में रख दी गई हैं।

विभाग कर रहा परीक्षण
कमिश्नर स्टेट जीएसटी लोकेश कुमार जाटव का कहना है कि यह नया विषय है। लेबल और रजिस्टर्ड तो पहले भी था, लेकिन वजन को जोडऩा नया मुद्दा है। बहुत से सवाल भी आ रहे हैं। ई-वे बिल अलग-अलग नोटिफिकेशन हैं। विभाग परीक्षण कर रहा है। एक-दो दिन में ही विभाग स्पष्टीकरण के साथ सर्कुलर जारी करेगा।

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