उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

विधिवत पंचक्रोशी यात्रा आज से शुरु… अपेक्षा से कम पहुँचे श्रद्धालु

  • शनिवार और रविवार को अलग अलग जत्थे रवाना हुए लेकिन आज मुख्य दिन पंचक्रोशी यात्रियों की दोपहर तक भीड़ कम रही

उज्जैन। पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत विधिवत आज से हुई है। आज वैशाख मास कृष्ण पक्ष की दशमी है। इसी दिन से पंचक्रोशी यात्रा शुरु करने का विधान है। हमेशा की तरह दो दिन पहले पंचक्रोशी यात्री शहर में आ गए थे और उन्होंने यात्रा भी शुरु कर दी। आज अनुमान लगाया जा रहा था कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु पंचक्रोशी यात्रा के लिए आज रवाना होंगे लेकिन अपेक्षा से कम लोग ही दोपहर तक पंचक्रोशी पर निकले।


उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद इस बार पंचक्रोशी यात्रा का आयोजन हो रहा है। नागचंद्रेश्वर मंदिर से लेकर यात्रा के हर पड़ाव पर तैयारियाँ प्रशासन और संबंधित विभागों द्वारा लगभग 2 लाख श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए की जा रही है। आज सुबह भी पटनी बाजार, गोपाल मंदिर, सतीगेट से लेकर कंठाल और कोयला फाटक तक आम लोगों ने भी पंचक्रोशी यात्रियों के लिए सड़कों पर छांव हेतु शामियाने लगाए। कई जगह उनके स्वागत और सुबह के नाश्ते की व्यवस्था की गई थी। नागचंद्रेश्वर मंदिर से लेकर पंचक्रोशी मार्ग तक पुलिस विभाग ने दो दिन पहले ही 1 हजार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगा दी थी। शहर में शनिवार से ही अलग-अलग जत्थे पंचक्रोशी यात्रा पर निकलने लगे थे। कल रविवार को भी बड़ी संख्या में यात्रा के एक दिन पहले पंचक्रोशी यात्री शिप्रा स्नान करने के बाद नागचंद्रेश्वर से बल लेकर पहले पड़ाव की ओर रवाना हो गए थे। उम्मीद जताई जा रही थी कि आज से विधिवत यात्रा शुरु होगी और हजारों की तादाद में पंचक्रोशी यात्री सुबह तक शहर में जमा हो जाएँगे और यात्रा पर निकल पड़ेंगे। परंतु आज भी अलग-अलग जत्थों में पंचक्रोशी यात्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर यात्रा के निकलते हुए नजर आए। जिन यात्रियों ने शनिवार को पंचक्रोशी यात्रा शुरु कर दी थी वे कल पहला पड़ाव पार कर दूसरे पड़ाव तक पहुँच गए थे। रविवार को जो श्रद्धालु यहाँ से निकले थे वे कल शाम तक पहले पड़ाव पर पहुँच गए थे और आज सुबह उन्होंने दूसरे पड़ाव की ओर बढऩा शुरु कर दिया था। उल्लेखनीय है कि 118 किलोमीटर लंबी पंचक्रोशी यात्रा में 5 पड़ाव और 2 उप पड़ाव आते हैं। यात्रा दशमी से शुरु होकर पूरे 6 दिन चलती है। पंचक्रोशी यात्रा के समापन के साथ ही अष्टतीर्थ यात्रा शुरु हो जाती है।

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