जीवनशैली स्‍वास्‍थ्‍य

मुट्ठी भर अखरोट खाने से किशोरावस्था में बेहतर हो सकता है संज्ञानात्मक विकास

नई दिल्ली (New Delhi) प्रतिष्ठित प्रकाशक द लैंसेट डिस्कवरी साइंस (The Lancet Discovery Science) की पत्रिका, ईक्लिनिकामेडिसिन (eclinicamedicine) में प्रकाशित एक नए स्पेनिश शोध से पता चला है कि नियमित रूप से अखरोट के सेवन से किशोरावस्था के नवयुवक-युवतियों के संज्ञानात्मक विकास और मनोवैज्ञानिक परिपक्वता (psychological maturity) पर सकारात्मक प्रभाव होता है। अखरोट पेड़ों पर फलने वाला एकमात्र खाद्य है जिसमें शरीर के लिए आवश्यक एक ओमेगा-3 फैटी एसिड, अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एएलए) महत्वपूर्ण मात्रा में पाया जाता है। एएलए मस्तिष्क के विकास, विशेषकर विकास के चरण में मुख्य भूमिका निभाता है। आईएसग्लोबल और हॉस्पिटल डेल मार इंस्टिट्यूट फॉर मेडिकल रिसर्च (आइएमआइएम) के सहयोग से इन्स्तितुत द इन्वेस्तीगासियो सनीतारिया पेरे विरजिल (आईआईएसपीवी) यानी पेरे वरजिल हेल्थ रिसर्च इंस्टिट्यूट ने नेतृत्व में संचालित इस अध्ययन के परिमाण आशाजनक है, क्योंकि यह पहला अनुसंधान है जो किशोरावस्था में अखरोट खाने का महत्व दर्शाता है।


यह अनुसंधान दर्शाता है कि आवश्यक पोषक तत्व, जैसा कि अखरोट से प्राप्त होते हैं, वाले स्वास्थ्यकर और संतुलित आहार का किशोरों के संज्ञानात्मक और मनोवैज्ञानिक विकास पर लाभकारी प्रभाव हो सकता है। आईआईएसपीवी के न्यूरो एपिया रिसर्च ग्रुप के प्रधान अनुसंधानक और समन्वयक, डॉ. जोर्दी जुल्वेज़ का कहना  है कि, “किशोरावस्था मस्तिष्क के शोधन, संयोजन और जटिल व्यवहारों की अवधि होती है, इसलिए यह आहार सहित अनेक प्रकार के पर्यावरणीय और जीवनशैली से जुड़े घटकों के प्रति संवेदनशील होता है, जिनसे इसे उचित विकास के लिए बड़ी मात्रा में ऊर्जा और पोषक तत्वों की ज़रुरत होती है। अखरोट पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य है और एएलए यानी ओमेगा-3 फैटी एसिड का वनस्पति-आधारित समृद्ध स्रोत है जो ऊर्जा प्रदान करता है और शरीर तथा शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है। इस कारण से, अखरोट किशोरावस्था के स्वास्थ्य का शानदार सहायक है।”

इस शोध में 700 वालंटियर विशेष रूप से 12 अलग-अलग उच्च विद्यालयों के 11 वर्ष से लेकर 16 वर्ष तक के स्टूडेंट्स शामिल थे। सहभागियों को आक्रमिक रूप से दो समूहों – कण्ट्रोल ग्रुप और एक्सपेरिमेंटल ग्रुप – में विभाजित किया गया था। एक्सपेरिमेंटल ग्रुप यानी प्रायोगिक समूह को 30 ग्राम अखरोट (एक मुट्ठी के बराबर) के पैकेट दिए गए और 6 महीने तक हर रोज एक पैकेट खाने को कहा गया। जिन सहभागियों ने कम से कम 100 दिनों तक अखरोट का सेवन किया उनके ध्यान के प्रकार्य में सुधार देखा गया और जिनमें ध्यान की कमी और अतिसक्रियता विकार यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) के लक्षण थे उनके क्लास में बेहतर व्यवहार, शिक्षक के प्रति ज्यादा ध्यान और कम अतिसक्रियता देखी गई।  इसके अलावा, शोध में बहुआयामी बुद्धि से संबंधी कार्यों में वृद्धि देखी गई जो शिक्षण द्वारा कम प्रभावित और व्यक्ति की जैविकी के प्रति अन्तर्निहित है। जिन सहभागियों ने अखरोट की अनुशंसित खुराक और सेवन के दिनों की संख्या का ज्यादा बढ़िया पालन किया उनके तंत्रिका-मनोवैज्ञानिक क्रियाओं में सुधार देखा गया।

इस शोध के उत्साहवर्द्धक परिणामों को पूरा करने के लिए अनुसन्धान दल गर्भावस्था के दौरान अखरोट के सेवन के प्रभाव का विश्लेषण करने के लिए एक दूसरा अवलोकन परीक्षण संचालित करेगा, जिसमें नवजात शिशुओं के संज्ञानात्मक विकास और मनोविज्ञानिक परिपक्वता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस प्रकार, इस शोध का लक्ष्य जीवन के पहले वर्षों से स्वास्थ्यकर आहार आदतों का महत्व बताना है।

कैलिफोर्निया वॉलनट कमीशन (सीडब्लूसी) ने शोध के परिणामों की रूपरेखा या चर्चा में हस्तक्षेप किये बगैर अनुसंधान के लिए आवश्यक अखरोट मुहैया करके शोध में सहयोग किया।

कैलिफोर्निया वॉलनट्स के विषय में

संयुक्त राज्य अमेरिका में उगाये जाने वाले अखरोटों का 99% से अधिक कैलिफोर्निया में 4,000 पारिवारिक बागानों में कई पीढ़ी के किसानों द्वारा उत्पादित होता है। अपनी उत्कृष्ट पोषण मूल्य और गुणवत्ता के लिए विख्यात, कैलिफ़ोर्निया वॉलनट्स सालों-साल दुनिया के हर हिस्से में निर्यात किये जाते हैं। वनस्पति-आधारित भोजन पर फोकस के साथ विविध प्रकार ने नवाचारी और सुस्वादु तरीके से, जैसे कि मांस का वानस्पतिक  विकल्प, अखरोट के दूध और अखरोट के मक्खन के रूप अखरोट का आनंद उठाया जा सकता है। वे विलक्षण और पौष्टिक स्नैक, दही और ओटमील के लिए टॉपर और सलाद एवं सब्जियों के लिए सही जोड़ी के रूप में माना जाता है।

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