देश मध्‍यप्रदेश

विधानसभा चुनाव में थर्ड जेंडर की भी एंट्री, काजल मौसी लड़ रही निर्दलीय चुनाव

शहडोल (Shahdol)। मध्‍यप्रदेश विधानसभा चुनावों (Madhya Pradesh Assembly Elections) की उलटी गिनटी शुरू हो गई है। एक तरफ जहां इस चुनाव में निर्दलीय उम्‍मीदवार कूंद गए तो वहीं थर्ड जेंडर भी अपनी किस्‍मत अजमा रहे हैं।

बता दें कि मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में एक बार फिर एक थर्ड जेंडर विधायक बनने की लाइन में है. किन्नर (थर्ड जेंडर) काजल मौसी की दावेदारी के बाद शहडोल की चुनावी राजनीति एक बार फिर चर्चा में है. उन्होंने शहडोल जिले की जैतपुर विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल किया है.

यहां बताते चलें कि नामांकन जमा करने की अंतिम तारीख को वास्तविक भारत पार्टी की ओर से काजल मौसी ने शहडोल जिले की जैतपुर विधानसभा सीट से अपना पर्चा दाखिल किया. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि जनता के विकास के लिए वे राजनीति में आई है. बीजेपी और कांग्रेस जनता को झूठे आश्वासन देती हैं लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करती हैं.लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी तमाम ऐसी समस्याएं हैं, जिनका समाधान करने की जरूरत है.यदि वह विधायक चुनी जाती है तो इस दिशा में काम करेगी.



23 साल पहले शहडोल जिले ने किस तरह से एक थर्ड जेंडर समुदाय की प्रत्याशी को चुनाव जीताकर भारतीय राजनीति में इतिहास दर्ज किया था.दरअसल,शहडोल जिले की सोहागपुर सीट से दिग्गज विधायक के पी सिंह की मृत्यु के बाद साल 2000 के फरवरी माह में उप चुनाव हो रहा था.
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि शहडोल जिले की सोहागपुर विधानसभा सीट हमेशा से कांग्रेस का गढ़ थी.देश में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी चुनाव हार गई थी,तब शहडोल की सोहागपुर सीट से कांग्रेस के केपी सिंह ने विजय हासिल की थी.

निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दाखिल किया नामांकन
थर्ड जेंडर शबनम मौसी अनूपपुर में रहती थीं. विधायक बनने से पहले वे उत्सवी माहौल में नाच-गाकर अपना गुजर बसर किया करती थीं. यह वह दौर था जब लोगों में राजनीतिक दलों के प्रति जमकर गुस्सा था. लोग कांग्रेस की दिग्विजय सरकार से भी बेहद नाराज थे. पब्लिक के बीच से ही शबनम मौसी को सुहागपुर सीट से उपचुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया गया.
शबनम मौसी ने एमएलए बनने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में नामांकन दाखिल कर दिया. कांग्रेस और बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशियों सहित कुल 9 लोग चुनाव मैदान में थे. शबनम मौसी को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव चिन्ह पतंग मिला था.

इसके बाद जनता उम्मीदवार या प्यूपिल कैंडिडेट शबनम मौसी की पतंग ने चुनावी आसमान में इतनी ऊंची उड़ान भरी कि बाकी प्रत्याशी उनके आसपास तक भी नही पहुंच सके. सबकी चुनावी पतंग काटते हुए शबनम मौसी ने इतिहास रच दिया. थर्ड जेंडर समुदाय से आने वाली शबनम मौसी ने यहां पर चुनाव जीतकर भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया था.अब यह देखना होगा क्या काजल मौसी भी शबनम मौसी की तरह विधायक बनकर एक बार फिर इतिहास दोहराएंगी.

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