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रूस के जीवाश्म ईंधन की जरूरत से यूरोप को 2030 से पहले मुक्त करने की ईयू की योजना


नयी दिल्ली । यूरोपीय आयोग (EU) ने यूरोप (Europe) को वर्ष 2030 से पहले (Before 2030) रूस से आयातित जीवाश्म ईंधन (Russian Fossil Fuels) की जरूरत से मुक्त कराने की (Independent) एक योजना बनायी है (Make a Plan), जिसके तहत नवीकरणीय ऊर्जा और हाइड्रोजन गैस के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जायेगा।


ईयू की यह योजना मंगलवार को पारित हो गई। इसमें अगली सर्दी के मौसम के दौरान गैस के भंडार को भरने और यूरोप में ऊर्जा की बढ़ती कीमत पर लगाम लगाने के लिये कई योजनाओं का खाका तैयार है। यूरोप में गत कई माह से ऊर्जा की कीमतें बढ़ी हुई हैं, लेकिन अब आपूर्ति संकट से मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
ईयू की योजना गैस की आपूर्ति में विविधता लाने की है। ईयू नवीकरणीय गैस के इस्तेमाल को प्रचलन में लाना चाहता है तथा वह हीटिंग और विद्युत उत्पादन में भी गैस को उपयोग में लाना चाहता है। इससे इस साल के अंत तक रूस के गैस पर ईयू की निर्भरता दो-तिहाई कम हो जायेगी।

ईयू की अध्यक्ष उर्सला वोन डेर लेयेन ने कहा ,” हमें रूस के तेल, कोयले और गैस पर अपनी निर्भरता खत्म करनी होगी। हम किसी ऐसे आपूर्तिकर्ता पर भरोसा नहीं कर सकते हैं, जो हमें धमकी दे रहा हो। हमें ऊर्जा की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिये अभी कदम उठाने होंगे। हमें अगली सर्दियों के लिये गैस आपूर्ति में विविधता लानी होगी और हमें तेजी से स्वच्छ ऊर्जा को अपनाना होगा।उन्होंने कहा, हमें जितनी जल्दी नवीकरणीय ऊर्जा और हाइड्रोजन गैस को अधिक ऊर्जा दक्षता के साथ अपनायेंगे, हम उतनी ही जल्दी वास्तविक रूप से ऊर्जा के क्षेत्र में स्वतंत्र होंगे। मैं इस सप्ताह के अंत तक वर्साय में यूरोपीय नेताओं के साथ ईयू के इस विचार पर चर्चा करूंगी और उसके बाद अपनी टीम के साथ इसे आसानी से लागू कराने पर काम करूंगी।

ईयू ऊर्जा की आसमान छूती कीमतों पर लगाम लगाने के लिये हरसंभव विकल्प पर विचार करेगा। यूरोपीय परिषद की 10 और 11 मार्च को होने वाली बैठक में ईयू के सदस्य देश रूस पर अपनी ऊर्जा निर्भरता को तेजी से कम करने पर विचार करेंगे।

उल्लेखनीय है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्विचमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाये हैं। शुरूआती दौर में रूस के कच्चे तेल, गैस आदि के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था लेकिन आपूर्ति संकट का भय बहुत पहले से ही तेल बाजार पर हावी हो गया था। आपूर्ति संकट की इसी आशंका के कारण पिछले कई दिनों से विदेशी बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कई वर्षो के रिकॉर्ड को छू रही हैं।

इसके बाद रूस के कच्चे तेल, गैस और कोयले के आयात पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी और साथ ही कई देश भी इस प्रकार के प्रतिबंध लगाने की बात कर रहे हैं। इन प्रतिबंधों के कारण पूरी दुनिया में जैसे ऊर्जा संकट का दौर शुरू हो गया है।

यूरोपीय देश रूस पर अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने की निर्भरता खत्म करना चाहते हैं और ईयू इसी योजना को अमलीजामा पहनाने की दिशा में काम कर रहा है। कुछ दिनों पहले यूरोपीय संसद में भी ऐसे ही बातें उठी थीं और वहां भी ऊर्जा सुरक्षा तथा नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने की बात की गई।

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