नई दिल्ली । अब वो वक्त दूर नहीं जब आपकी दवा(medicine)किसी फैक्ट्री(factory) से नहीं, बल्कि सीधा (directly)अंतरिक्ष से आएगी। अमेरिका की एक प्राइवेट (company)कंपनी Varda Space Industries ने ऐसा कमाल कर दिखाया है। कंपनी का चौथा मिशन W‑4 अब 21 जून को SpaceX रॉकेट के साथ लॉन्च होने जा रहा है। इस मिशन का मकसद है – अंतरिक्ष में दवाएं बनाना और उन्हें धरती पर सुरक्षित वापस लाना।
मिशन में क्या खास?
वर्दा कंपनी अपने खास मिशन के तहत अंतरिक्ष में एक खास प्रक्रिया के तहत दवाओं की मेनुफेक्चरिंग करेगी। इस प्रक्रिया को सॉल्यूशन-बेस्ड क्रिस्टलाइजेशन कहते हैं। इसमें किसी दवा को घोलकर क्रिस्टल के रूप में जमाया जाता है। गुरुत्वाकर्षण की कमी में बनने वाले ये क्रिस्टल ज़्यादा शुद्ध और असरदार होते हैं। इस मिशन में इस्तेमाल होने वाला स्पेसक्राफ्ट कंपनी ने खुद डिजाइन और तैयार किया है। पहले ये काम रॉकेट लैब करती थी।
मिशन कई मायनों में खास
यह मिशन कई मायनों में खास है। ऐसा अगर सफल हो जाता है तो अंतरिक्ष में कोई कंपनी पहली बार दवा का निर्माण करेगी। इसके बाद दवा से भरे कैप्सूल को अंतरिक्ष से 18000 मील प्रति घंटा की रफ्तार से वापस धरती पर लाया जाएगा। ये कैप्सूल खास हीट शील्ड से ढका होगा, जो धरती के वायुमंडल की गर्मी को झेल सकेगा।
नासा भी कर रहा मदद
अमेरिका की सरकारी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की मदद से वर्दा ने एक नया हीट शील्ड मटीरियल – C‑PICA भी तैयार किया है। ये एक ऐसा सुरक्षा कवच है, जो वापस आते समय कैप्सूल को जलने से बचाता है। इस मिशन की लैंडिंग ऑस्ट्रेलिया के कूनिब्बा टेस्ट रेंज में होगी। वर्दा को FAA (अमेरिकी एविएशन एजेंसी) से पांच साल का लाइसेंस भी मिल गया है जिससे अब कंपनी लगातार मिशन कर सकती है।
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